Friday 6 March 2009

कबीर और तुकाराम के काव्य मे अभिव्यक्त सांस्कृतिक चेतना का तुलनात्मक अनुशीलन

डॉ.बालकवि सुरंजे द्वारा लिखी गई यह प्रथम पुस्तक हाल ही मे प्रकाशित हुई .इस पुस्तक को पढ़ने के बाद इस बात का अंदाजा सहज ही हो जाता है की लेखक ने इस पुस्तक को लिखने मे जी-तोड़ मेहनत की है । साथ ही साथ मराठी और हिन्दी दोनों भाषावो पर उनका समान अधिकार है । कबीर हिन्दी साहित्य के बहूत बडे कवि हैं , तुकाराम भी संत परम्परा के मध्यकालीन कवि हैं ,महाराष्ट्र से । इन दोनों के साहित्य मे जो समानता रही है उसे ही सामने लाने का प्रयास लेखक ने किया है ।
यह पुस्तक लेखक का शोध -प्रबंध रहा है ,इस कारण कुछ स्थानों पर विस्तार अधिक दिखाई पड़ता है .लेकिन कुल मिलाकर पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है .पुस्तक पाप्ति के लिये लेखक से निम्नलिखित पते पर संपर्क किया जा सकता है
डॉ.बालकवि सुरंजे
अध्यक्ष-हिन्दी विभाग
बिरला महाविद्यालय
कल्याण -पश्चिम ४२१३०१
महाराष्ट्र

Wednesday 4 March 2009

भव्य लोकार्पण समारोह -मन के साँचे की मिट्टी


सोमवार दिनांक ०२ मार्च २००९ की शाम कल्याण के आदर्श हिन्दी हाई स्कूल मे श्री विजय नारायण पंडित जी के प्रथम काव्य संग्रह ''मन के सांचे की मिट्टी '' का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया ।



इस समारोह मे अध्यक्ष के रूप मे बिरला कॉलेज के प्राचार्य डॉ.नरेश चंद्र उपस्थित थे । लोकार्पण कर्ता के रूप मे मुंबई विद्यापीठ के पूर्व हिन्दी विभाग प्रमुख डॉ.रामजी तिवारी उपस्थित थे । स्वागत वक्तव्य हिन्दी के जाने-माने साहित्यकार श्री अलोक भट्टाचार्य जी ने दिया । अतिथि स्वागत भाषण दी कल्याण होलेसले मर्चंट असोसिएशन के अध्यक्ष श्री नन्द कुमार लक्ष्मण सोनवाने जी ने दिया । प्रमुख अतिथि के रूप मे कल्याण डोम्बिवली महानगर पालिका के कमिश्नर श्री गोविन्द राठोड जी उपस्थित थे । दोपहर का सामना हिन्दी समाचार के कार्यकारी संपादक श्री प्रेम शुक्ला जी भी प्रमुख अतिथि के रूप मे उपस्थित थे ।



प्रमुख वक्ता के रूप मे डॉ.सतीश पाण्डेय ,डॉ.अनिल सिंह, और डॉ.ईश्वर पवार जी उपस्थित थे । इस समारोह मे मुंबई विद्यापीठ से सम्बद्ध कई महाविद्यालयों के हिन्दी विभाग प्रमुख उपस्थित थे । जैसे की -डॉ.प्रकास मिश्रा ,डॉ.संतोष मोटवानी,डॉ.प्रदीप सिंघ,डॉ.दौलत सिंग पालीवाल,डॉ.बालकवि सुरंजय ,डॉ.स्याम सुंदर पाण्डेय .डॉ.दामोदर मोरे ,डॉ.अनीता मन्ना ,डॉ.डी.पी.सिंग और डॉ.संजीव दुबे । इनके अतरिक्त भी कई पत्त्रिकाओ से सम्बंधित लोग भी उपस्थित थे .सञ्चालन श्री ॐ प्रकाश पाण्डेय जी ने किया ।



इस अवसर पर २००० के करीब लोग उपस्थित थे .सभी ने हिन्दी के विद्वानों को गंभीरता पुर्वक सुना ।



अपना भाषण देते हुवे डॉ.रामजी तिवारी ने कवितावों की खूब प्रसंसा की । इस समारोह की कुछ तस्वीरे आप इस लेख के साथ देख सकते हैं । मुंबई जैसे सहर मे किसी कविता पुस्तक के लोकार्पण मे इतने लोगो का उपस्थित होना एक आश्चर्य ही है । मगर यह सच है । आँखों देखा सुखद सच ---------------