Tuesday 1 February 2011
Sunday 30 January 2011
अवधी सम्मलेन का आयोजन
द्वितीय अवधी सम्मेलन 13 फरवरी, 2011 को स्वानंद आश्रम परिसर, येऊर, ठाणे में आयोजित होगा।
देश के अवधी अंचलों व नेपाल से अवधी विद्वान, कवि व कलाकार उपस्थित रहेंगे।
परिचर्चा, सृजन संवाद, विभूतियों का सम्मान एवं लोक काव्य संध्या का आयोजन भी होगा।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के निकटवर्ती ठाणे शहर की सुरम्य येऊर हिल्स स्थित परमपूज्य स्वानंद बाबा आश्रम परिसर में रविवार, 13 फरवरी, 2011 को सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक अवधी सम्मेलन का आयोजन प.पू.स्वानंद बाबा सेवा न्यास के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें सुलतानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, बहराइच, आदि अवधी अंचलों के साथ नई दिल्ली व नेपाल से अवधी विद्वान, कवि व कलाकार हिस्सा लेंगे। अवधी सम्मेलन में परिचर्चा, सृजन संवाद, अवधी विभूतियों के सम्मान के साथ लोक काव्य संध्या का आयोजन भी होगा।
अवधी सम्मेलन की परिचर्चा "अवधी की चुनौतियाँ" में बोली-बानी के संपादक व अवधी अकादमी के अध्यक्ष जगदीश पीयूष, अवध भारती समिति के महामंत्री डॉ. रामबहादुर मिश्र, अवधी विकास संस्थान के अध्यक्ष एड. विनोद मिश्र, दोपहर का सामना के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल, सुप्रसिद्ध गीतकार समीर, सहारा समय के ब्यूरो प्रमुख सैयद सलमान, सिटी चैनल के मुख्य संपादक अजय पत्रकार / सौरभ ओमर विचार व्यक्त करेंगे। इसकी अध्यक्षता मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रामजी तिवारी करेंगे व संचालन अभियान संस्था के अध्यक्ष अमरजीत मिश्र करेंगे। सृजन संवाद में नेपाल के अवधी विद्वान लोकनाथ वर्मा, राहुल नेपाली अवधी की प्रवृत्तियों को, लाइव इंडिया के प्रमुख संवाददाता रवि तिवारी, मीडिया में अवधी तथा कवि डॉ. अशोक गुलशन अवधी कविता के गुणों को रेखांकित करेंगे।
लोक काव्य संध्या में सुप्रसिद्ध अवधी गायिका मालिनी सिंह बिसेन, व्याख्या मिश्रा, सुप्रसिद्ध गायक रवि त्रिपाठी, कवि निर्झर आजमगढ़ी, अशोक टाटंबरी(फैजाबाद) व गीतकार कमल किशोर भावुक, लखनऊ के साथ मुंबई के प्रमुख स्थानीय कवि शिरकत करेंगे। सम्मेलन के अवसर पर "विकलांग की पुकार" साप्ताहिक के अभय मिश्र के अतिथि संपादन में अवधी गौरव विशेषांक का विमोचन पं. दुर्गा प्रसाद पाठक द्वारा होगा। इस सम्मेलन के आयोजन में उद्योगपति समाजसेवी चंद्रशेखर आर. शुक्ला, उद्योगपति बबलू पांडेय, कवि देवमणि पांडेय, पत्रकार सरताज मेहदी का सहयोग है।
इस कार्यक्रम के लिए सुप्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष एवं सांसद डॉ. पी.एल. पूनिया (बाराबंकी) व डॉ. संजय सिंह (सुलतानपुर) से भी संपर्क किया गया है।
अवधी सम्मेलन, मुंबई के बारे में :
विश्व प्रसिद्ध काव्य साहित्य व मूल्यवान लोक साहित्य की भाषा अवधी के प्रचार-प्रसार, उन्नयन व संवर्धन के लिए अवधी सम्मेलन, मुंबई की भावनात्मक स्थापना 14 दिसंबर, 2009 को राजेश विक्रांत द्वारा की गई। संस्था ने 22 जनवरी, 2010 को मुंबई में प्रथम अवधी सम्मेलन का आयोजन रंगभारती-हमलोग के सौजन्य से किया। इसमें जगदीश पीयूष, डॉ. रामजी तिवारी, प्रेम शुक्ल, पं. किरण मिश्र, आनंद त्रिपाठी, हृदयेश मयंक, द्वारिकानाथ मिश्रा, बृजनाथ, अनुराग त्रिपाठी, हरिश्चंद्र, रामप्यारे सिंह रघुवंशी, ओमप्रकाश तिवारी, एड. विजय सिंह, वर्ल्ड ऑफ ग्रेट फेसेस के संपादक अभिलाष अवस्थी, देवमणि पांडेय, अभय मिश्र, रासबिहारी पांडेय, बोधिसत्व, दिवाकर द्विवेदी, अर्चना मिश्रा, मनोज मुंतशिर, सुरेश मिश्र व कमलेश पांडेय तरुण उपस्थित रहे।
प.पू.स्वानंद बाबा सेवा न्यास के बारे में :
ठाणे के येऊर हिल्स स्थित प.पू. स्वानंद बाबा आश्रम का प्रबंधन इस न्यास द्वारा किया जाता है। इस न्यास के प्रमुख ट्रस्टी प्रेम शुक्ल हैं। आश्रम में स्वानंद समाधि, महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर के साथ सामुदायिक सुविधायुक्त स्वानंद सदन का निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया गया है। होली उत्सव, गुरुपूर्णिमा, श्रावण उत्सव, शरद पूर्णिमा, वासंतिक नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, दीपपर्व, महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति पर आश्रम में भव्य दिव्य आयोजन होता है जिसमें कई हजार धर्म प्रेमी व श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। शरद पूर्णिमा की रात आश्रम परिसर में आयाजित होने वाली काव्य निशा की ख्याति दूर-दूर तक है। न्यास की ओर से समय-समय पर साहित्यकारों-पत्रकारों कलाकारों के सम्मान का कार्यक्रम व मेडिकल शिविरों का आयोजन भी पं. दुर्गा प्रसाद पाठक व श्रीमती शांति प्रेम शुक्ल के मार्गदर्शन में होता है।
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अधिक जानकारी हेतु सम्मेलन के मीडिया प्रभारी आफताब आलम से 09224169416, ई-मेलः aftaby2k@hotmail.com पर अथवा www.rajeshvikrant.blogspot.com तथा www.aftabalamhindustani.blogspot.com पर भी लॉगऑन किया जा सकता है।
national seminar on hindi blogging
In january 2012 we are planning to organize a two days national seminar on '' hindi blogging: svroop,vyapti aur sambhavnayen.''
expected date will be 20st-21nd january 2012. for the same we have send our preposal to university grant commission and maharashtra hindi sahity akadmi. k.m.agrawal college managemaent and principal madam has all ready given the permission for the said seminar.
we are planning to publish a book of selected articles on above seminar topic. so if you are intrested in the same, then kindly contact to me.
DR.MANISH KUMAR MISHRA
K.M.AGRAWAL COLLEGE
GANDHARI VILLAGE
PADGHA ROAD
KALYAN-WEST
PIN-421301
DIST. THANE
MAHARASHTRA
INDIA
MO-9324790726
expected date will be 20st-21nd january 2012. for the same we have send our preposal to university grant commission and maharashtra hindi sahity akadmi. k.m.agrawal college managemaent and principal madam has all ready given the permission for the said seminar.
we are planning to publish a book of selected articles on above seminar topic. so if you are intrested in the same, then kindly contact to me.
DR.MANISH KUMAR MISHRA
K.M.AGRAWAL COLLEGE
GANDHARI VILLAGE
PADGHA ROAD
KALYAN-WEST
PIN-421301
DIST. THANE
MAHARASHTRA
INDIA
MO-9324790726
Tuesday 25 January 2011
गम ही दे पर दे इन्तहा वो भी ,
गम ही दे पर दे इन्तहा वो भी ,
खुशियों पे तेरा अब बस नहीं
चाहा है टूट कर जिसको
मिटा दे हस्ती गम दे तू ही
दर्द का मेला चाहूं तुझसे
तकलीफों का झोला चाहूं तुझसे
चाहत का क्या है वो तू कब का भूली
ग़मों का लम्हा चाहूं अब तुझसे
खुशियों पे तेरा अब बस नहीं
चाहा है टूट कर जिसको
मिटा दे हस्ती गम दे तू ही
दर्द का मेला चाहूं तुझसे
तकलीफों का झोला चाहूं तुझसे
चाहत का क्या है वो तू कब का भूली
ग़मों का लम्हा चाहूं अब तुझसे
Thursday 20 January 2011
Tuesday 18 January 2011
आपके आलेख आमंत्रित हैं.
आपके आलेख आमंत्रित हैं
'' हिंदी ब्लॉग्गिंग '' पर फरवरी २०१२ में आयोजित होनेवाली राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए आप के आलेख सादर आमंत्रित हैं.इस संगोष्ठी में देश-विदेश के कई विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आये हुवे सभी आलेखों को पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित करने क़ी योजना है. आपसे अनुरोध है क़ी आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें.
इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें --------------
डॉ.मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल कॉलेज
पडघा रोड,गांधारी विलेज
कल्याण-पश्चिम ,४२१३०१
जिला-ठाणे
महाराष्ट्र ,इण्डिया
mailto:manishmuntazir@gmail.com
wwww.onlinehindijournal.blogspot.कॉम
०९३२४७९०७२६
'' हिंदी ब्लॉग्गिंग '' पर फरवरी २०१२ में आयोजित होनेवाली राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए आप के आलेख सादर आमंत्रित हैं.इस संगोष्ठी में देश-विदेश के कई विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आये हुवे सभी आलेखों को पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित करने क़ी योजना है. आपसे अनुरोध है क़ी आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें.
इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें --------------
डॉ.मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल कॉलेज
पडघा रोड,गांधारी विलेज
कल्याण-पश्चिम ,४२१३०१
जिला-ठाणे
महाराष्ट्र ,इण्डिया
mailto:manishmuntazir@gmail.com
wwww.onlinehindijournal.blogspot.कॉम
०९३२४७९०७२६
Thursday 13 January 2011
national seminar on hindi blogging in february 2012
हिंदी ब्लॉग्गिंग : स्वरूप,व्याप्ति और संभावनाएं
इस विषय पर फरवरी २०१२ में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी अपने महाविद्यालय और विश्विद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित करने जा रहा हूँ.
सभी हिंदी ब्लॉग्गिंग परिवार से जुड़े लोगों से निवेदन है क़ी अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करते हुवे अपने सुझाव भी प्रेषित करें .
डॉ.मनीष कुमार मिश्रा
प्रभारी -हिंदी विभाग
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
कल्याण-पश्चिम ४२१३०१
जिला-ठाणे
महाराष्ट्र
manishmuntazir@gmail.कॉम
इस विषय पर फरवरी २०१२ में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी अपने महाविद्यालय और विश्विद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित करने जा रहा हूँ.
सभी हिंदी ब्लॉग्गिंग परिवार से जुड़े लोगों से निवेदन है क़ी अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करते हुवे अपने सुझाव भी प्रेषित करें .
डॉ.मनीष कुमार मिश्रा
प्रभारी -हिंदी विभाग
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
कल्याण-पश्चिम ४२१३०१
जिला-ठाणे
महाराष्ट्र
manishmuntazir@gmail.कॉम
Monday 10 January 2011
महफ़िल तो सजी हुई है पर हर बंदा यहाँ उदास है
महफिले पुरजोर है जामों का यहाँ जोर है
मुस्करा रहा कोई किसी का अटठाहँसों पे जोर है ;
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है
किसी को रिश्तोंकी है उलझने
कोई business का यहाँ दास है
नौकरी जों कर रहा वो ना करी कैसे करे
कहता फिरे कुछ भी मगर उसका भी कोई boss है
औरतें उलझी हुई किस राह तक पति का साथ दे
कैसे समेटे जिंदगी कैसे खुशियों को राह दें
बचपन का मेला याद अब भी
अल्ल्हड़पन की मस्ती साथ अब भी
यौवन का भावों का घेरा
आज कहाँ है उसका बसेरा
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है
उल्लास तो बिखरा पड़ा
हर मन में दबी कोई प्यास है
कहीं परिवार का उलझाव है
कहीं कैरियर का जंजाल है
कहीं पतली होती रिश्ते की डोर है
कहीं सिमटते विश्वास का छोर है
मुस्काते चेहरे खिले भाव
दिल के कोनों में उदासी की छावं
मिल रहे गले यार से यार यहाँ
मिला रहे एक दूजे से हाथ अनजान यहाँ
कोई पीने का शौक़ीन कोई जुटा खाने पे
कोई बतियाये खुल के कोई चुपचाप यहाँ
कोई थिरके है गाने पे
कोई दे रहा थाप यहाँ
गम दर्द तकलीफों से भाग रहा हर कोई है
हर्ष खुशियाँ उल्लास चाह रहा हर कोई है
शाम बिना सुबह कब आये
खुशियों का रंग तकलीफों पे ही आये है
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है
भागती हुई ये जिंदगी
ठहरा हुआ अहसास है
वक़्त से खेल रहा हर कोई
पर वक़्त ही सरताज है
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है /
मुस्करा रहा कोई किसी का अटठाहँसों पे जोर है ;
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है
किसी को रिश्तोंकी है उलझने
कोई business का यहाँ दास है
नौकरी जों कर रहा वो ना करी कैसे करे
कहता फिरे कुछ भी मगर उसका भी कोई boss है
औरतें उलझी हुई किस राह तक पति का साथ दे
कैसे समेटे जिंदगी कैसे खुशियों को राह दें
बचपन का मेला याद अब भी
अल्ल्हड़पन की मस्ती साथ अब भी
यौवन का भावों का घेरा
आज कहाँ है उसका बसेरा
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है
उल्लास तो बिखरा पड़ा
हर मन में दबी कोई प्यास है
कहीं परिवार का उलझाव है
कहीं कैरियर का जंजाल है
कहीं पतली होती रिश्ते की डोर है
कहीं सिमटते विश्वास का छोर है
मुस्काते चेहरे खिले भाव
दिल के कोनों में उदासी की छावं
मिल रहे गले यार से यार यहाँ
मिला रहे एक दूजे से हाथ अनजान यहाँ
कोई पीने का शौक़ीन कोई जुटा खाने पे
कोई बतियाये खुल के कोई चुपचाप यहाँ
कोई थिरके है गाने पे
कोई दे रहा थाप यहाँ
गम दर्द तकलीफों से भाग रहा हर कोई है
हर्ष खुशियाँ उल्लास चाह रहा हर कोई है
शाम बिना सुबह कब आये
खुशियों का रंग तकलीफों पे ही आये है
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है
भागती हुई ये जिंदगी
ठहरा हुआ अहसास है
वक़्त से खेल रहा हर कोई
पर वक़्त ही सरताज है
महफ़िल तो सजी हुई है
पर हर बंदा यहाँ उदास है /
Tuesday 4 January 2011
हकीकते जिंदगी स्वीकार कर तू खुल के
हकीकते जिंदगी स्वीकार कर तू खुल के ,
मुश्किलों की बारिश में तू मुस्करा खुल के ,
वक़्त का ये खेल है कर्मे जिंदगी ,
हार हो या जीत हो तू खिलखिला खुल के !
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