Tuesday 23 December 2008

अभिलाषा

अभिलाषा मुक्तक शैली मे लिखी गई मेरी कविता हैइसमे कुल १५० बंद हैंकुछ बंद आप कई लिये यंहा लिख रहा हूँ

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मेरा अर्पण और समर्पण

सुबकुछ तेरे नाम प्रिये

श्वास -श्वास तेरी अभिलाषा

तू जीवन की प्राण प्रिये

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तनया तू है मानवता की

प्रेम भाव की तेरी काया

तेरे प्रेम का जोग लिया तो

प्रेमी बन वन फिरूं प्रिये


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प्रेम नयन का अंजन है तू

प्रेम भाव का खंजन है तू

तेरी आँखों का सम्मोहन

मेरे चारों धाम प्रिये


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तुझमे नूर खुदाई का है

मजहब तू शहनाई का है

तू इश्क इबादत की आदत

अब तो मेरी बनी प्रिये



ये बंद आप को पसंद आंयें तो अवस्य सूचित करेंफ़िर और भी बंद आप लोगो की सेवा मे प्रस्तुत करूँगा

हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें

मित्रो पिछले दिनों एक सेमिनार मे बारामती गया था । वहा कई दोस्त दक्षिण भारत के मिले । उन्होने मुझसे कहा की उनके पास हिन्दी की पत्रिकाओ के लिये बजट तो है लेकिन पत्रिकाओ की जानकारी नही है । अतः मैने सोचा की जितना मुझे पता है उतना मै उन्हे इस पोस्ट के जरिये बताने की कोशिश करू ।


यहाँ कुछ पत्रिकाओ के नाम दे रहा हूँ।




http://www.tadbhav.com,

http://www.anyatha.com

http://www.hans.com

http://www.hindinest.com

http://www.bharatdarshan.com

http://list of hindi magazines on wikipedia of hindi magazines on विकिपीडिया