कभी इकरार करता है
कभी इकरार करता है ,
कभी इनकार करता है ;
कभी खिलता कँवल है ,
कभी अनपढ़ी गजल है ;
कहीं अधुरा सच है तू ,
कहीं पूरा तप है तू ;
कहीं विस्वास है तू ,
कहीं खोयी आस है तू ;
कहीं बंधन में जकडा है ,
कहीं बस यूँ ही अकडा है ;
चेहरे की मुस्कान है तू ,
आंसुवो की जान है तू /
कभी इनकार करता है ;
कभी खिलता कँवल है ,
कभी अनपढ़ी गजल है ;
कहीं अधुरा सच है तू ,
कहीं पूरा तप है तू ;
कहीं विस्वास है तू ,
कहीं खोयी आस है तू ;
कहीं बंधन में जकडा है ,
कहीं बस यूँ ही अकडा है ;
चेहरे की मुस्कान है तू ,
आंसुवो की जान है तू /