Friday 10 June 2011

टूट कर सवरने की आदत सी हो गयी है

टूट कर सवरने की फितरत  हो गयी है ,
 न जाने क्यों ,मुझे मोहब्बत हो गयी है .

जानता हूँ ,अब तुम किसी और की हो,
पर क्या करूँ,  तुम्हारी आदत हो गयी है  


तुम्हे भुला देने के  ख़याल  भर  से,
अजीब  सी बड़ी, मेरी  हालत  हो गयी  है .

   



मेरे लिए एक समाचार था

कल महीनो बाद , वही फोन आया जिसका इन्तजार था 
कुछ गिले- शिकवों के बाद, मेरे लिए एक समाचार था . 

वो अब, जब, हो गए हैं  किसी और के तो,बताना नहीं भूले 
कि मैं उनका एक दोस्त रहा, जो मोहब्बत में वफादार था. 

   
   

शिलांग में राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन आयोजित


शिलांग में राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन आयोजित
पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, शिलांग के संयुक्त तत्वावधान में तान दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मेलन का आयोजन गाड़ीखाना स्थित श्री राजस्थान विश्रामभवन में दिनांक 3 जून से 5 जून 2011 तक किया गया। श्री बिमल बजाज की अध्यक्षता में 3 जून को दोपहर 3 बजे मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास राज्य मंत्रि, भारत सरकार कुमारी अगाथा संगमा ने इस सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर  किया। विशेष अतिथि के रूप में श्री अतुल कुमार माथुर, अतिरिक्त आरक्षी महानिदेशक, मेघालय राज्य, अतिथि के रूप में श्री एन. मुनिश सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, श्रीमती उर्मि कृष्ण, निदेशक कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला छावनी, समाज सेवक श्री ओम प्रकाश अग्रवाल उपस्थित थे। इस सत्र में सुस्मिता दास, श्री विश्वजीत सरकार, संचयिता राय, अर्पिता चौधुरी और साथियों ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सरला मिश्र ने मुख्य अतिथि का परिचय तथा डॉ. अरुणा कुमारी उपाध्याय ने समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत की। पूर्वोत्तर वार्ता और शुभ तारिका पत्रिका का लोकार्पण किया गया। सभी मंचस्थ अतिथियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। मुख्य अतिथि ने पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी को धन्यवाद दिया। संयोजक डॉ. अकेलाभाइ ने इस सत्र का सफल संचालन किया।
          दूसरा सत्र बहुभाषी काव्यगोष्ठी डॉ. जगदीश चन्द्र चौरे की अध्यक्षता में शाम को 6 बजे से आरंभ हुआ। इस सत्र में मुख्य अतिथि थे श्री अतुल कुमार माथुर, विशेष अतिथि के रूप में श्री परमजीत सिंह राघव, उपनिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल, अतिथि के रूप में श्री रमेशचन्द्र सक्सेना अवकाश प्राप्त महानिरीक्ष, सीमा सुरक्षा बल, श्रीमती लक्ष्मी रूपल (पंचकूला), श्रीमती उर्मि कृष्ण, श्रीमती कान्ति अय्यर,  सूरत (गुजरात), श्री विनोद बब्बर, संपादक राष्ट्र किंकर, नई दिल्ली और श्री पवन घुवारा (टीकमगढ़) मंच पर उपस्थित थे। इस सत्र में 44 कवियों ने अपनी अपनी कविताओं का पाठ किया।
          तीसरा सत्र दिनांक 4 जून को प्रातः 10 बजे से प्रो. अमर सिंह बधान (चण्डीगढ़) की अध्यक्षता में आरंभ हुआ। स सत्र में कुल 28 विद्वानों ने पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के विकास पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। इस सत्र में मंच पर श्री हरान दे (सिलचर), श्री देवेनचन्द्र दास (गुवाहाटी), डॉ. कविराज राधागोविन्द थोङाम (मणिपुर) और डॉ. वैकुण्ठनाथ (अहमादाबाद) उपस्थित थे। इस सत्र में पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के विकास पर च4चा की गई।  यह सत्र डॉ अकेलाभाइ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
चौथे सत्र में अखिल भारतीय स्तर पर 52 लेखकों को डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। श्रीमती गिनिया देवी केशरदेव बजाज स्मृति सम्मान और श्री जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान से 10 लेखकों को सम्मानित किया गया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में श्री बी. एम. लानोंग, उप मुख्य मंत्रि, मेघालय सरकार, विशेष अतिथि श्री शंकर लाल गोयनका (गुवाहाटी), अतिथि श्री एन. मुनिश सिंह, श्री रमेशचन्द सक्सेना, श्रीमती उर्मि कृष्ण तथा इस सत्र में अध्यक्ष के रूप में श्री बिमल बजाज उपस्थित थे। सत्र का संचालन डॉ. अरुणा उपाध्याय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अकेलाभाइ ने किया।  
          पाँचवा सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रम का था। इस सत्र में विबिन्न कलाकारों ने नृत्य और गीत प्रस्तुत किया। भिलाई से आये श्री विश्वजीत सरकार और श्रीमती संचयिता दास में रवीन्द्र संगीत, श्रीमती एन. सन्ध्यारानी सिंह ने मणिपुरी लोकनृत्य, तानिया बरुआ ने कत्थक नृत्य, श्रीमती पुष्पलता राठौर ने गजल प्रस्तुत किये। दिनांक 5 जून को सभी प्रतिभागियों ने चेरापूँजी वनभोज का आनन्द उठाया। 6 जून को सभी प्रतिभागियों की विदाई हुई।

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