Saturday 19 June 2010

वक़्त बदल देता है रिश्तों के माने , रिश्ता बदल जाये ऐसा रिश्ता ना करना

कोई ख्वाब अधुरा ना देखो ,
सपने तो कम से कम पूरा देखो ,
मंजिल को दो अपनी हर कोशिश,
हर मंजिल पर नया रास्ता ना देखो /
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प्यार हमेशा बेइंतहा करना ,
टूटे गर दिल भी तो गम को रुसवा ना करना /
वक़्त बदल देता है रिश्तों के माने ,
वक़्त बदल दे रिश्ता ऐसा रिश्ता ना करना /

उन आखों की उलझन को सुलझायुं कैसे ,

ऊन आखों की उलझन को सुलझायुं कैसे ,
ऊन सहमे हुए भावों को समझाऊं कैसे ,
रह कर गैर की बाँहों में भी जों सोचे मुझको ,
ऐसे दिलदार को दर्द बतलाऊं भी कैसे ?

Thursday 17 June 2010

मेरे सब्र का इम्तहान ले रहा कब से /

सब्र का इम्तहाँ ले रहा कब से,मोहब्बत से खेल रहा अब तो,

राह बदल भी देते मगर मजबूरी है, उस बिन जिंदगी अधूरी है/

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मेरा जहन से तू निकला ही नहीं ,

मेरी यादों में तू रहा भी नहीं ;

तू कभी साथ था मेरे पर उसको हुआ बरसों ,

क्यूँ मेरे अश्कों से तेरा रिश्ता टुटा ही नहीं /

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Wednesday 16 June 2010

खुद को उसकी आखों से कभी देखा था /

खिला गुलाब बगीचे में कभी देखा था ,
महकता ख्वाब मैंने भी कभी देखा था ;
खुदाई बिखरी है जर्रे-जर्रे में ,
खुद को उसकी आखों से कभी देखा था /

उज़्बेकी कोक समसा / समोसा

 यह है कोक समसा/ समोसा। इसमें हरी सब्जी भरी होती है और इसे तंदूर में सेकते हैं। मसाला और मिर्च बिलकुल नहीं होता, इसलिए मैंने शेंगदाने और मिर...