संत कबीरदास
संत काव्य परम्परा में कबीरदास का स्थान सबसे उच् है । उन्होंने संत सिरोमणि बनकर हिन्दी कविता को नई दिशा प्रदान की । धर्मं को अंधविश्वास और आडम्बर से मुक्त करने का प्रयास किया,और हिंदू मुस्लिम एकता का मार्ग दिखलाया।
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संत काव्य परम्परा में कबीरदास का स्थान सबसे उच् है । उन्होंने संत सिरोमणि बनकर हिन्दी कविता को नई दिशा प्रदान की । धर्मं को अंधविश्वास और आडम्बर से मुक्त करने का प्रयास किया,और हिंदू मुस्लिम एकता का मार्ग दिखलाया।
अनेक यादें बिखरी हुई हैं ;
कितनी ही बातें उलझी हुई हैं ;
खुबसूरत वाकयों का हिसाब क्या करें ;
सब तेरी बेतकल्लुफी में सिमटी हुई हैं /
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मोहब्बत और तनहाई से कैसे रूठें ;
अपनो की जुदाई से कैसे रूठें ;
ईश्वर की खुदाई पे कैसे रूठें ;
जीने को कुछ खुशियाँ ,
खुशियों को कुछ भावः लगते हैं ;
मेरी जिंदगी मेरे प्यार ,
तेरी मोहब्बत और बेवफाई पे कैसे रूठें ?
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गुरु को समर्पित
तेरी स्तुति में मन लीन रहे ,
तेरी महिमा में तल्लीन रहे ;
तेरी आभा का गुडगान करे ,
हर पल तेरा ध्यान करे ;
तू सर्वज्ञ , तू सर्वदा ,
तू संवाद तू संवेदना ;
तू ही कारन तू ही कर्ता ,
तू ही है सब कर्ता धर्ता ; तू ही सांसे ,
तू ही जीवन ,तू ही है जीवन का प्रकरण ;
तू ही शिव है तू ही शक्ति ,
तू ही है मेरी भक्ती ;
गान करूँ गुडगान करूँ ,हर पल तेरा ध्यान करूँ ;
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