Saturday 27 February 2010
फिर किसी मोड़ पर -विजय भाई पंडित क़ी तीसरी पुस्तक है
फिर किसी मोड़ पर -विजय भाई पंडित क़ी तीसरी पुस्तक है ,जिसका लोकार्पण २ मार्च को कल्याण में होगा.आप लोगो के लिए किताब का कवर पजे दे रहा हूँ. बताइए आप को यह कैसा लगा ?
Thursday 25 February 2010
जितने सालों से तुमने,/abhilasha
मन क़ी वीणा के तारों को,
टूटे उतने ही साल हुए हैं .
जितने सालों से तुमने,
ना क़ी कोई भी बात प्रिये .
इन सालों को उम्र में मेरी ,
शामिल बिलकुल मत करना .
इनका तो मेरे दिल से,
नहीं कोई सम्बन्ध प्रिये.
-----अभिलाषा
टूटे उतने ही साल हुए हैं .
जितने सालों से तुमने,
ना क़ी कोई भी बात प्रिये .
इन सालों को उम्र में मेरी ,
शामिल बिलकुल मत करना .
इनका तो मेरे दिल से,
नहीं कोई सम्बन्ध प्रिये.
-----अभिलाषा
वो जब पास होती है,
वो जब पास होती है,
धडकन तेज होती है.
लब खामोश होते हैं,
आँखों से सारी बात होती है ..
वो सबसे मिलती है ,
हंस कर बातें करती है.
पर आकर मेरे पास,
जाने क्यों घबराई होती है.
धडकन तेज होती है.
लब खामोश होते हैं,
आँखों से सारी बात होती है ..
वो सबसे मिलती है ,
हंस कर बातें करती है.
पर आकर मेरे पास,
जाने क्यों घबराई होती है.
होली का त्यौहार है.
रंगों का सावन ,
प्यार क़ी फुहार है.
गले लग जाओ यारों,
होली का त्यौहार है .
टोली में निकलो ,
सब संग खेलो .
बुरा मत मानों यारों,
होली का त्यौहार है .
कजरी भी गाओ,
फगुआ भी गाओ.
झूमो,नाचो,गाओ यारों,
होली का त्यौहार है.
चोली भिगाओ,
चुनरी भिगाओ.
भर लो बाँहों में यार याँरो,
होली का त्यौहार है.
(इस कविता के साथ लगे फोटो पर मेरा कोई अधिकार नहीं है. यह मुझे मेल के रूप में मिला है.इसका लिंक egreetings.india.gov.in.page-archive.org/user. है. )
प्यार क़ी फुहार है.
गले लग जाओ यारों,
होली का त्यौहार है .
टोली में निकलो ,
सब संग खेलो .
बुरा मत मानों यारों,
होली का त्यौहार है .
कजरी भी गाओ,
फगुआ भी गाओ.
झूमो,नाचो,गाओ यारों,
होली का त्यौहार है.
चोली भिगाओ,
चुनरी भिगाओ.
भर लो बाँहों में यार याँरो,
होली का त्यौहार है.
(इस कविता के साथ लगे फोटो पर मेरा कोई अधिकार नहीं है. यह मुझे मेल के रूप में मिला है.इसका लिंक egreetings.india.gov.in.page-archive.org/user. है. )
Wednesday 24 February 2010
रीति काल पर दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार :डॉ.शशि मिश्रा
रीति काल पर दो दिन का राष्ट्रीय सेमिनार
आप को जान कर ख़ुशी होगी कि मुंबई के महर्षि दयानंद महाविद्यालय ,परेल में आगामी ०३ और ०४ मार्च २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा दो दिनों का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है. यु.ज़ी.सी. द्वारा प्रायोजित इस सेमिनार में देश के कई जाने-माने विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आप यदि इस सेमिनार में सहभागी होना चाहते हैं तो आप का स्वागत है. आप अधिक जानकारी के लिए महाविद्यालय क़ी हिंदी विभाग प्रमुख श्रीमती डॉ.शशि मिश्रा जी से उनके मोबाइल -०९८३३६२१९३८ पे सम्पर्क कर सकते हैं.महाविद्यालय तक पहुँचने के लिए ttp://maps.google.com/maps?f=d&source=sh_d&saddr=महार्ष इस गूगल मैप लिंक का सहारा लिया जा सकता है .महाविद्यालय का पता निम्नलिखित है-
Maharshi Dayanand College,Parel, Dr SS Rao Rd, Parel, Mumbai, Maharashtra, India
आपका सेमिनार में स्वागत है ***
डॉ.शशि मिश्रा
आप को जान कर ख़ुशी होगी कि मुंबई के महर्षि दयानंद महाविद्यालय ,परेल में आगामी ०३ और ०४ मार्च २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा दो दिनों का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है. यु.ज़ी.सी. द्वारा प्रायोजित इस सेमिनार में देश के कई जाने-माने विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आप यदि इस सेमिनार में सहभागी होना चाहते हैं तो आप का स्वागत है. आप अधिक जानकारी के लिए महाविद्यालय क़ी हिंदी विभाग प्रमुख श्रीमती डॉ.शशि मिश्रा जी से उनके मोबाइल -०९८३३६२१९३८ पे सम्पर्क कर सकते हैं.महाविद्यालय तक पहुँचने के लिए ttp://maps.google.com/maps?f=d&source=sh_d&saddr=महार्ष इस गूगल मैप लिंक का सहारा लिया जा सकता है .महाविद्यालय का पता निम्नलिखित है-
Maharshi Dayanand College,Parel, Dr SS Rao Rd, Parel, Mumbai, Maharashtra, India
आपका सेमिनार में स्वागत है ***
डॉ.शशि मिश्रा
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
होली जब भी आती है
नई सौगात लाती है .
उसे बाँहों में भरने का,
वही एहसास लाती है.
ले के प्यार का गुलाल,
मन में थोड़े से सवाल .
वो आ के मेरे पास,
मुझको छेड़ जाती है .
नजर सब क़ी बचाती है
नजर मुझसे मिलाती है .
इशारों ही इशारों में,
हँसी पैगाम देती है .
हमजोली क़ी टोली आती .
साथ में नखरे वाली आती .
छू के मेरे गालों को,
वो हलके से शरमाती है .
चोली भी भीगी ,चुनरी भी भीगी
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
देख के उसका ऐसा रूप,
मुझको बेचैनी होती है .
( इस पोस्ट के साथ लगे सभी फोटो मुझे मेल के रूप में मिले हैं,इनपे मेरा कोई अधिकार नहीं है.)
होली जब भी -----------------------------------------
Tuesday 23 February 2010
सच्चाई का जीना हितकर ,अच्छाई का जीना पुण्य है /
अनुदान की बेला जब आई , आख्यान हमेशा काम आई ;
दान की नीयत बन आई ,जब सम्मान की सूरत दिख पाई;
बिना किये जो मिल जाये ,वो सबको सुख कर होती है
है दौर दिखावे का ये लेकिन , अच्छाई कब खुद को खोती है ;
बंदिश से हो हासिल क्या , स्वतंत्रता से हो गाफिल क्या ?
बिना कर्म कब शांति मिली है ,वासनाओं से कब क्रांति मिली है /
देने से सुख कर कब क्या है ,लेने से दुःख कर कब क्या है ;
बंद हथेली लाख की अब भी ,खुली हथेली ख़ाक की है ;
बिना स्वार्थ के दान पुण्य है ,अपनो का मान पुण्य है /
सच्चाई का जीना हितकर ,अच्छाई का काम पुण्य है /
फिर किसी मोड़े पर :लोकार्पण समारोह
फिर किसी मोड़े पर :लोकार्पण समारोह ****************
आगामी २ मार्च २०१० को कल्याण पश्चिम के बैलबजार स्थित गुरु हिम्मत गुरुद्वारे के प्रांगण में शाम ८.०० बजे भाई विजय नारायण पंडित के ग़ज़ल संग्रह ''फिर किसी मोड़ पर '' का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया है.इस समारोह क़ी रूप-रेखा इस प्रकार है ---
लोकार्पण कर्ता-श्री गोविन्द राठोड जी
(आयुक्त क.डो.म.पा.)
अध्यक्ष -डॉ.नरेश चन्द्र जी
(प्राचार्य,बिरला कॉलेज ,कल्याण)
स्वागताध्यक्ष -श्री.नन्द कुमार सोनावने जी
(अध्यक्ष एल.डी.सोनावने कॉलेज ,)
प्रास्ताविकी-श्री .अलोक भट्टाचार्य जी
(प्रख्यात साहित्यकार )
मुख्य अतिथि-श्री.प्रेम शुक्ल जी
(कार्यकारी संपादक,दोपहर का सामना )
आशीर्वचन -डॉ.सतीश पाण्डेय जी
(अध्यक्ष हिंदी अध्ययन मंडल )
डॉ.सुनील शर्मा जी
(उप प्राचार्य -मॉडल कॉलेज )
डॉ.राजू वारसी जी
आप सब इस समारोह में सादर आमंत्रित हैं. इसी दिन भाई विजय पंडित जी का जन्म दिन भी है.
आगामी २ मार्च २०१० को कल्याण पश्चिम के बैलबजार स्थित गुरु हिम्मत गुरुद्वारे के प्रांगण में शाम ८.०० बजे भाई विजय नारायण पंडित के ग़ज़ल संग्रह ''फिर किसी मोड़ पर '' का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया है.इस समारोह क़ी रूप-रेखा इस प्रकार है ---
लोकार्पण कर्ता-श्री गोविन्द राठोड जी
(आयुक्त क.डो.म.पा.)
अध्यक्ष -डॉ.नरेश चन्द्र जी
(प्राचार्य,बिरला कॉलेज ,कल्याण)
स्वागताध्यक्ष -श्री.नन्द कुमार सोनावने जी
(अध्यक्ष एल.डी.सोनावने कॉलेज ,)
प्रास्ताविकी-श्री .अलोक भट्टाचार्य जी
(प्रख्यात साहित्यकार )
मुख्य अतिथि-श्री.प्रेम शुक्ल जी
(कार्यकारी संपादक,दोपहर का सामना )
आशीर्वचन -डॉ.सतीश पाण्डेय जी
(अध्यक्ष हिंदी अध्ययन मंडल )
डॉ.सुनील शर्मा जी
(उप प्राचार्य -मॉडल कॉलेज )
डॉ.राजू वारसी जी
आप सब इस समारोह में सादर आमंत्रित हैं. इसी दिन भाई विजय पंडित जी का जन्म दिन भी है.
वो आ जाये तो बेचैनी ,
वो आ जाये तो बेचैनी चली जाये तो बेचैनी
हालत पे अपने ,
होती है हैरानी .
वो चाँद सी सुंदर ,
हिरनी सी है चंचल.
एक रोज उसको तो,
मेरी ही है होनी .
वो फूल सी कोमल ,
गंगा सी है निर्मल .
आएगी वो एक रोज देखो,
बन मेरी सजनी .
हालत पे अपने ,
होती है हैरानी .
वो चाँद सी सुंदर ,
हिरनी सी है चंचल.
एक रोज उसको तो,
मेरी ही है होनी .
वो फूल सी कोमल ,
गंगा सी है निर्मल .
आएगी वो एक रोज देखो,
बन मेरी सजनी .
Monday 22 February 2010
कोई ख्वाबों में आता है
कोई ख्वाबों में आता है
कोई नीदें चुराता है .
चुरा के चैन वो मेरा,
मुझे बेचैन करता है .
वहां पे वो अकेली है
यहाँ पे मैं अकेला हूँ .
उसे मुझसे मोहब्बत है,
मुझे उससे मोहब्बत है .
खामोश रहती है,
कभी वो कुछ नहीं कहती .
यहाँ पे मैं तड़पता हूँ,
वहां पे वो तड़पती है .
बादल जब बरसते हैं,
हम कितना तरसते हैं ?
यहाँ पे मैं मचलता हूँ,
वहां पे वो मचलती है .
सर्दी क़ी रातों में,
अकेले ही कम्बल में .
यहाँ पे मैं सिकुड़ता हूँ,
वहां पे वो सिकुड़ती है .
कोई ख्वाबों में ---------------------------------------
कोई नीदें चुराता है .
चुरा के चैन वो मेरा,
मुझे बेचैन करता है .
वहां पे वो अकेली है
यहाँ पे मैं अकेला हूँ .
उसे मुझसे मोहब्बत है,
मुझे उससे मोहब्बत है .
खामोश रहती है,
कभी वो कुछ नहीं कहती .
यहाँ पे मैं तड़पता हूँ,
वहां पे वो तड़पती है .
बादल जब बरसते हैं,
हम कितना तरसते हैं ?
यहाँ पे मैं मचलता हूँ,
वहां पे वो मचलती है .
सर्दी क़ी रातों में,
अकेले ही कम्बल में .
यहाँ पे मैं सिकुड़ता हूँ,
वहां पे वो सिकुड़ती है .
कोई ख्वाबों में ---------------------------------------
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