Saturday 19 September 2009

आस्था की चुनौतियाँ हैं ;

आस्था की चुनौतियाँ हैं ;
बिखरी संस्कृतियाँ हैं ;
अवमाननावों की संकुचित राजनीती है ;
तड़पती इंसानो की स्मृति है ;
धर्मान्धता तर्क की आहुति बनी है ;
सज्जनता मौन की वाहक बनी है ;
क्यूँ न मरे हम तुम इस महफ़िल में ;
चिल्लाहट ,तोड़ फोड़ ,खून खराबा ,
सच्चाई की मानक बनी हैं /

आया नवरात्री का उत्सव



आया नवरात्री का उत्सव सभी देवी माँ के भक्तो को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाये । आओ हम सभी मिल कर इस उत्सव को बड़ी ही धूम धाम से मनाये । देवी माँ से बस यही प्रार्थना है करते है की माँ अधर्म का नाश हो और धर्म की विजय हो । सभी को सच बोलना और सच का सामना करने की शक्ति दे ।


प्रेम से बोलो जय माता दी





Friday 18 September 2009

आज कल वो खिलखिलाते बहुत है ;

नजरों में नशा है ,
माहोल बेवफा है ;
अब सिने से लग भी जावो ;
आज कल तड़पाते बहुत है /
मन कहीं ठहर ना जाए ;
तन कहीं संभल ना जाए ;
फुल खिले हैं ,पक्षियों की कलवरे हैं;
आ बाँहों में समां सांसों को महका ;
वक्त का कर न भरोसा ;
आज कल आजमाते बहुत हैं ;
आज कल वो खिलखिलाते बहुत है ;
सपने में भी मुस्कराते बहुत हैं ;
जब से बेवफाई का दामन है पकड़ा ;
वो गुनगुनाते बहुत हैं /

Thursday 17 September 2009

elections in maharashtra

in the next month elections are going to be commenced inMaharashtra. all expectations, speculations and combinations permutations are in the air. till now nobody can guarranty at this particular moment about the wins and leads in the elections. the most important factor will be the role played by manase. will its effect be seen is the question haunting all the political leaders. also among hot discussions is the newly formed alliance of ridalos (third front).
what do the readers think on this issue. kindly convey your views and opinions on role played by manase and the third front in the upcoming elections.

Tuesday 15 September 2009

कैसे तुझे अपना मानू ?

किन जज्बातों को मानू ;

किन अरमानो को जानू ;

क्या नही बदला तुझमे ;

जो तुझे अपना मानू ?

क्या भावों में सत है ;

क्या आखों में तप है ;

क्या बाकी है तुझमे ;

जो तुझे अपना जानू ?

कब यादों को तुने साधा ;

मेरी यादों से है तू भागा;

भुला रोई आखों के वादे भी ;

कैसे तुझे अपना मानू ?

Sunday 13 September 2009

अक्स आखों से दिल में उतर गया ;

अक्स आखों से दिल में उतर गया ;

आंसू दिल का आखों से गुजर गया ;

तेरी अदावत का लुत्फ़ भी ले लेते लेकिन ;

न जाने क्यूँ तेरा दिल बाँहों में पिघल गया ;

तू गैर की है यकीं है मुझे ;

मुझे देख के तेरा आंसू निकल गया ;

तेरी मोहब्बत से गुरेज करूँ कैसे ;

मेरे पास आते ही तेरा अरमां मचल गया ;

क्या करूँ अपने भावों का मै ;

मेरा हर लम्हा तुझमे सिमट गया /

चाँदनी रातों में अँधियारा लगता है ;

चाँदनी रातों में अँधियारा लगता है ;
जागते सपनों में तू हमारा लगता है ;
सोयी आखों में तू आता नही ;
ग़मों का तू उजियारा लगता है /

उज़्बेकी कोक समसा / समोसा

 यह है कोक समसा/ समोसा। इसमें हरी सब्जी भरी होती है और इसे तंदूर में सेकते हैं। मसाला और मिर्च बिलकुल नहीं होता, इसलिए मैंने शेंगदाने और मिर...