Sunday 19 August 2012

लखनऊ की एक शाम दुनिया भर के ब्लॉगरों के नाम...


लखनऊ की एक शाम दुनिया भर के ब्लॉगरों के नाम...


 
लखनऊ का ज़िक्र आते ही 1960 में गुरुदत्त फिलम्स के बैनर तले बनी फ़िल्म चौदहवीं का चांद का एक गीत याद आ जाता हैजो लखनऊ की तहजीब पर रचा गया था । बोल शकील साहब के थे और आवाज़ थी रफी साहब की ।

"ये लखनऊ की सरज़मीं
ये लखनऊ की सरज़मीं
ये रंग रूप का चमन
ये हुस्न--इश्क़ का वतन
यही तो वो मुक़ाम है
जहां अवध की शाम है.....!"

जी हुजूर ! शाम-ए-अवध वैसे भी दुनिया भर में बहुत मशहूर है। अवध यानि लखनऊ की शाम की रंगीनियत यहां के वाशिंदों के दिलों में तो बसी ही हैसाथ ही लखनऊ की शाम को देखने के मुंतज़िर लोगों को भी अपनी ओर बरबस खींचती रहती है । कहा गया है कि यहाँ के ज़र्रे ज़र्रे में बसी है हाजिर-जवाबीअदबनजाकत तमद्दुन ,जुस्तजू , तहजीब .....बगैरह-बगैरह । आपको यह जानकर खुशी होगी कि 27 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन की लखनवी शाम यानि अवध की एक शाम ही नहीं पूरा का पूरा दिन दुनिया के हिन्दी ब्लॉगरों के नाम होने जा रहा है ।

देश व विदेश के ब्लॉगर इस महीने लखनऊ मे जुटेंगे । नए मीडिया के सामाजिक सरोकार पर बात करेंगे । इस बहस-मुहाबिसे मे पिछले कुछ दिनों से चर्चा के केंद्र मे रहे इस नए मीडिया पर मंथन होगा। साथ हीसकारात्मक ब्लोगिंग को बढ़ावा देने वाले 51 ब्लॉगरों को 'तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011' से नवाजा जाएगा । साथ ही हिंदी ब्लोगिंग दशक के सर्वाधिक चर्चित पांच ब्लोगर और पांच ब्लॉग के साथ-साथ दशक के चर्चित एक ब्लोगर दंपत्ति को भी परिकल्पना समूह द्वारा सम्मानित किया जाएगा ।  यह सम्मान 27 अगस्त को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह मे आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन मे दिये जाएँगे।

लखनऊ में जुटने वाले देश-विदेश के ब्लॉगरों की फेहरिस्त वैसे तो बहुत लंबी है, लेकिन जो महत्वपूर्ण है उसमें यू ए ई से पूर्णिमा वर्मन, कनाडा से समीर लाल समीर, लंदन से शिखा वार्ष्णेय, सुधा भार्गव और बाबूशा कोहली।मध्यप्रदेश से रवि रतलामी,मुकेश कुमार तिवारी, पल्लवी सक्सेना, अर्चना चाव जी और गिरीश बिल्लोरे मुकुल। छतीसगढ़ से गिरीश पंकज, डॉ जय प्रकाश तिवारी, राहुल सिंह,नवीन प्रकाश और बी एस पावला । हरियाणा से रविन्‍द्र पुंज, दर्शन बवेजा, श्रीश शर्मा, संजीव चौहान और डाप्रवीण चोपडा ।झारखंड से संगीता पूरी और मुकेश कुमार सिन्हा । नयी दिल्ली से अविनाश वाचस्पतिशैलेश भारतवासीपवन चन्दनशाहनवाज़नीरज जाटरचनाप्रेम जनमेजयरंजना (रंजू) भाटिया,कैलाश चन्द्र शर्माशैलेश भारतवासीकुमार राधारमणअजय कुमार झाडॉ हरीश अरोड़ा,भोपाल सूद, सुनीता शानू और सुमित प्रताप सिंह । राजस्थान से रतन सिंह शेखावत । बिहार से डॉ अरविंद श्रीवास्तव ,मनोज कुमार पाण्डेय और शहंशाह आलम । महाराष्ट्र से रश्मि प्रभाडॉ अनीता मन्ना,अपराजिता कल्याणी  और डॉ मनीष मिश्र । गोवा से इस्मत जैदी । उत्तराखंड से शेफाली पाण्डेय, राजेश कुमारी और सिद्धेश्वर सिंह। उत्तर प्रदेश से डॉ अरविंद मिश्र,  रणधीर सिंह सुमन,निर्मल गुप्त,संतोष त्रिवेदी, कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, शिवम मिश्रा,कुवर कुसुमेशकृष्ण कुमार यादव,आकांक्षा यादवअक्षिता पाखी,रविकर फैजावादी, डॉ श्याम गुप्त आदि ।

इसके अलावा जिनके आने रोशन होगा यह सम्मलेन उनमें प्रमुख हैं वरिष्ठ साहित्यकार मुद्रा राक्षस, वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत, वरिष्ठ आलोचक विरेंद्र यादव, वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ती,वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश, वरिष्ठ संपादक डॉ सुभाष राय, समीक्षक डॉ विनय दास, हरे प्रकाश उपाध्याय और डॉ श्याम सुन्दर दीक्षित आदि इन सभी शख्सियतों के साथ -साथ बड़ी संख्या में  प्राध्यापक, टेक्नोक्रेट, पत्रकार और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीयों के पहुँचने की संभावना है 

 सकारात्मक ब्लोगिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस आयोजन को तीन सत्रों मे रखा गया है। पहले सत्र मे 'नए मीडिया की भाषाई चुनौतियाँ' दूसरे सत्र मे 'नए मीडिया के सामाजिक सरोकार' एवं तीसरे सत्र मे 'नया मीडिया दशा-दिशा-दृष्टि' पर विचार रखे जाएँगे ।

अवध की मेहमानवाजी को क़ुबूल करने क्या आप भी आ रहे हैं ? तो अविलंब इन ई मेल आई डी पर सूचना दें : तस्लीम के महामंत्री डॉ0 जाकिर अली ‘रजनीश’ (मो0 9935923334ईमेलः zakirlko AT gmail DOT com) तथा मेरे मेल(parikalpanaa AT gmail DOT com )पर या मोबाईल (9415272608) पर ।

ईद मुबारक



मानस मंदिर और वाल्मीकि आश्रम की यात्रा

 कल शनिवार, दिनांक 18 अगस्त 2012 को  हम लोग कल्याण से सटे शहापुर मैं बने मानस मंदिर और वंहा से 55 किलो मीटर दूर अजा पर्वत पर स्थित वाल्मीकि ऋषि के आश्रम जाने के लिए सुबह 7.30 बजे निकले । पिताजी मेरे साथ थे । साथ ही महाविद्यालय के उप - प्राचार्य डॉ आर . बी . सिंह , बाटनी विभाग प्रमुख डॉ वी. के . मिश्रा ,और   कैमिस्ट्रि विभाग से डॉ कुलकर्णी  साथ थे । जिनकी ट्वेरा गाड़ी हमने भाड़े पे ली थी , वे थे श्री संतोष भोईर जी । 

 मानस मंदिर जैन संप्रदाय के लोगों का प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ की प्राकृतिक सुषमा देखते ही बनती है । चारों  तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ यह मंदिर मुंबई नाशिक रोड से सटा हुआ है । यंहा मंदिर की फोटो निकालना मना है , लेकिन हमने सुरक्षा कर्मियों की नजरें बचाकर कुछ तस्वीरें निकाल ही ली। विशेष तौर पे उस वृक्ष की तस्वीर , जिसपे मन्नत का नारियल लोग लाल कपड़े में बांधते हैं । 
मंदिर का परिसर घूमने के बाद हम नास्ते के लिए 
मंदिर के ही भोजनालय में आए। यंहा 40 रुपये में 
एक कुपन था, जिसमे  नास्ते के लिए कई चीजें थी ।
हमने 5 कुपन लिए । ड्राइवर संतोष जी का उपवास था , उनके लिए वंहा कुछ खाने लायक उपलब्ध नहीं था । 

यह सुनिश्चित हुआ कि उनके लिए 

रास्ते में फल खरीद लिया जाएगा । 





















myself with dr. r.b. singh sir