Friday 9 July 2010
न की इतनी गैरत की मुलाकात कर लेती ,
Thursday 8 July 2010
न महकते बागों के मंजर का शौक रखा ,
न तूफानी समंदर का शौक रखा ,
शौक तो बस इतना था तुझे जी भर के देखूं ,
तुने की शिकायत तो बंद आखों का शौक रखा /
Wednesday 7 July 2010
रूह जलती रही मेरी सर शैया पे
Monday 21 June 2010
बदली जिंदगानी सपने नहीं बदले ,
जो नहीं थे अपने वो अपने नहीं बदले ,
प्रिये तुने चाहा बहुत लेकिन ,
मैंने इश्क की रवायत नहीं बदले /
Saturday 19 June 2010
वक़्त बदल देता है रिश्तों के माने , रिश्ता बदल जाये ऐसा रिश्ता ना करना
उन आखों की उलझन को सुलझायुं कैसे ,
Thursday 17 June 2010
मेरे सब्र का इम्तहान ले रहा कब से /
सब्र का इम्तहाँ ले रहा कब से,मोहब्बत से खेल रहा अब तो,
राह बदल भी देते मगर मजबूरी है, उस बिन जिंदगी अधूरी है/
.
मेरा जहन से तू निकला ही नहीं ,
मेरी यादों में तू रहा भी नहीं ;
तू कभी साथ था मेरे पर उसको हुआ बरसों ,
क्यूँ मेरे अश्कों से तेरा रिश्ता टुटा ही नहीं /
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Wednesday 16 June 2010
खुद को उसकी आखों से कभी देखा था /
महकता ख्वाब मैंने भी कभी देखा था ;
खुदाई बिखरी है जर्रे-जर्रे में ,
खुद को उसकी आखों से कभी देखा था /
Wednesday 26 May 2010
कभी इठला के दिल चुराया ,
कभी इठला के दिल चुराया ,
कभी शरमा के बदन ;
इन्तहा तब हो गयी ,
ढरकता पल्लू औ कहा हमदम /
Sunday 9 May 2010
मेरा दिल है बावरा तेरी मुलाकात के लिए ,
मेरा दिल है बावरा तेरी मुलाकात के लिए ,
सिने में जलती मशाल है तेरे प्यार के लिए ;
सोचों में दिन गुजरा यादों में रात ,
मेरी आखें सुनी है तेरे इक ख्वाब के लिए /
Wednesday 5 May 2010
गुजरे वक़्त का साथ कैसा ,
बीते लम्हों के हमखास ना होना ;
यादें गर तुझे तड़पायें भी ,
पुराने सपनों के साथ ना होना ;
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गुजरे वक़्त का साथ कैसा ,
गया वक़्त आज कैसा ;
भाव तो करेंगे अपनी कारागिरी ;
जों बदल गया फिर उसका साथ कैसा /
Thursday 29 April 2010
मोहब्बत की जुदाई में भी एक सुकूँ है दिले दिलदार से पूंछो ,
मोहब्बत की जुदाई में भी एक सुकूँ है दिले दिलदार से पूंछो ,
.
मोहब्बत की तड़पन में छुपा इक जुनूं है किसी आफताब से पूँछों ;
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चाहते तमन्ना में उम्र गुजर जाये भी तो कम है ,
.
इन्तजारे इश्क भी एक खुदाई है अपने प्यार से पूँछों /
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बबूल के पेड़ से छावं का कयास है ;
Monday 26 April 2010
तुम तो बिना मोहब्बत मिलने की बात कहते हो /
Monday 19 April 2010
उसमे नहाया मै इकलौता गुनाहगार नहीं /
Sunday 18 April 2010
रश्मे मोहब्बत में इश्क की खुदायी की ,
Wednesday 14 April 2010
ना रुसवां हूँ तुझसे ना कोई लडाई है ;
वो मेरी मोहब्बत का सबब पूंछता है /
तेरे ऐतबार पे दिल नहीं आया था
तेरे ऐतबार पे दिल नहीं आया था ,तेरे चंचलता पे न मै मुसकराया था ;
तेरी मासूमियत की जफ़ाओं ने मन मोहा ,तेरी निश्छलता ने दिल चुराया था /
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Friday 2 April 2010
दिलदार नहीं सुनता कभी ;
मौका नहीं मिलाता कभी ;
मनाओ भले कितना ,
प्यार नहीं सुनता कभी ;
,
मोहब्बत क्या करे ,
किस्साये आंसूये दिल का ;
दिल नहीं मिलता कभी ,
दिलदार नहीं मिलता कभी /
,
,
वक़्त नहीं रहता कभी ,
मौका नहीं मिलाता कभी ;
मनाओ भले कितना ,
परवरदीगार नहीं सुनता कभी /
ताशकंद शहर
चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद जहां मैपल के पेड़ों की कतार किसी का भी मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां ...
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