कोई ख्वाबों में आता है
कोई नीदें चुराता है .
चुरा के चैन वो मेरा,
मुझे बेचैन करता है .
वहां पे वो अकेली है
यहाँ पे मैं अकेला हूँ .
उसे मुझसे मोहब्बत है,
मुझे उससे मोहब्बत है .
खामोश रहती है,
कभी वो कुछ नहीं कहती .
यहाँ पे मैं तड़पता हूँ,
वहां पे वो तड़पती है .
बादल जब बरसते हैं,
हम कितना तरसते हैं ?
यहाँ पे मैं मचलता हूँ,
वहां पे वो मचलती है .
सर्दी क़ी रातों में,
अकेले ही कम्बल में .
यहाँ पे मैं सिकुड़ता हूँ,
वहां पे वो सिकुड़ती है .
कोई ख्वाबों में ---------------------------------------
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Monday 22 February 2010
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