Friday, 8 January 2010
अभिलाषा-११२
बनते और बिगड़ते हैं .
पर सब सहता हस्ते-हस्ते,
छुपा के दिल का हाल प्रिये .
लाखों और हजारों बूंदे,
यद्यपि सागर में गिरती .
पर सीपी कि मोती तो,
बनती कोई खास प्रिये .
अभिलाषा-११२ -----------------------
अभिलाषा ११०
११०
शब्द-शब्द सब मन्त्र बन गए ,
प्रेम में जो भी लिख डाला .
जाप इन्ही का करना यदि ,
अभिलाषा हो कोई प्रिये .
टूटे सारे छंद -व्याकरण ,
फूटा जब भावों का झरना .
इसमें चाहत का कलरव,
और मदिरा सा नशा प्रिये .
१११
अभिलाषा ने जीवन के,
कदमो पे गिर के पूछा -
पूरी कब हो पाऊँगी ,
बतला दो बस इतना प्रिये .
जीवन फिर हंसते-हंसते,
उससे केवल इतना बोला-
जो पूरी हो जाये वह,
रहे नहीं अभिलाषा प्रिये .
Thursday, 7 January 2010
बड़ा बेईमान है चेहरा /
खुली हवाओं में सिमटता है,
सच का क्या कहें यारों,
दबाओगे जितना उतना ही उभरता है /

Monday, 4 January 2010
विरह की पीड़ा , मै अकेला ,धुल अंधड़ /
विरह की पीड़ा , मै अकेला ,धुल अंधड़ ,
रात नीरव ,चाँद निर्मल ,आसुओं का रण,
शाम रक्तिम ,निर्जन है मन ,यादें विहंगम ,
मोह इक व्यथा है ,
प्यार सुख की विधा है ,
लालसा बंधन की ,
चाह है ये ज्वलन की ,
क्यूँ हो विस्मित दुःख की दशा पे ,
क्यूँ हो चिंतित खुद की व्यथा पे ,
आग कब भागे जलन से ,
बर्फ कब पिघली ठिठुरन से ,
नीला अतुल आकाश खुला है ,
सागर विशाल भरा पड़ा है ,
समय निरंतर चल रहा है,
मृत्यु को जीतोगे कैसे ,
प्यार तो हर ओर पड़ा है /
विरह की पीड़ा , मै अकेला ,धुल अंधड़ ,
रात नीरव ,चाँद निर्मल ,आसुओं का रण,
शाम रक्तिम ,निर्जन है मन ,यादें विहंगम ,

३ ईडियट और -----------
३ ईडियट और -------
हाल ही में आई यह फिल्म कई मायनों में बड़ी महत्वपूर्ण है . इस पर बारीकी से ध्यान देना जरूरी है. आमिर खान की यह फिल्म हमारी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पे प्रश्न चिन्ह लगाती है. साथ ही साथ ये भी बताती है कि किस तरह आज भी हम अपने शिक्षा संस्थानों में मल्टी नेशनल कंपनियों के लिए नौकर ही पैदा कर रहे हैं. हम किस अंधी दौड़ में शामिल, हैं इसका उदाहरन इस पिक्चर में दिखाया गया है.
साथ ही साथ इस पिक्चर में कुछ कमियाँ भी रही हैं .हो सकता है मेरी यह बात आमिर खान जी को पसंद ना आये लेकिन मुझे जो कमी लगी वो इस प्रकार है
- पिक्चर का नायक रैंचो वर्तमान शिक्षा व्यस्था को धता बताता है, फिर भी उसी व्यवस्था में उसका फर्स्ट आना खटकता है .
- फिल्म का नायक सिद्धांतो कि बात करता है,लेकिन वह खुद किसी और के लिए डिग्री मुहैया करता है.
लेकिन कुल मिलाकर फिल्म अच्छी है. आमिर भाई बधाई हो
बुर्ज दुबई ;दुनिया की सबसे ऊँची ईमारत
(इन तमाम फोटो पे मेरा किसी तेरह का कोई कॉपी राईट नहीं है . ये मुझे मेल के रूप में प्राप्त हुई हैं, जिन्हें मै यंहा सामान्य जन की जानकारी हेतु दी रहा हूँ. मेरा कोई व्यावसाईक उदेश्य नहीं है . )
Friday, 1 January 2010
इस राष्ट्रीय सेमीनार में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
आप सब का हम दिल खोल कर स्वागत करते हैं.
अगर आप इस सेमीनार में कोई आलेख पढना चाहते हैं तो आप उसके लिए सम्पर्क कर सकते है .
इस सेमीनार में दिल्ली,वनारस,लखनऊ और अल्लाहाबाद से कई विद्वान सहभागी हो रहे हैं .
हिंदी का राष्ट्रिय सेमीनार
१५-१६ जनवरी २०१० को पुणे विश्विद्यालय से सम्बद्ध चांदमल ताराचंद बोरा महाविद्यालय , रांजनगाँव ,शिरूर में २ दिवसीय
राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित की गई है . यदि आप इस संगोष्टी में सहभागी होना चाहते हैं तो संपर्क करे -
डॉ.इश्वर पवार
०२१-३८२८८४४४
०९६२३९६१४४३
०९४२२३१६६१७
संगोष्ठी में आप का स्वागत है
moments goes by .
events fades by ,
feelings remains ,
care and affection what it means ,
judgements may not come true ,
believe is hard to believe ,
but love is always there to see ।
cherish those who stand by you ,
implore the goodness who are ignored by you ,
have faith in your own divinity ,
be good to every one by your civility।
the year ahead may bring joy and happiness ,
the time ahead may bring pride in your achievement and humbleness।
All you wish ,
have growth and bliss ।
a life of content ,
full of good intent ।
of love and peace ,
of growth and ease।
WISH ALL A VERY HAPPY NEW YEAR .

Thursday, 31 December 2009
नूतन क्या है जो मै लायुं /
नूतन क्या है जो मै लायुं ,
क्या नूतन मै भाव सजायुं ;
नित्य सुबह को नयी है किरणे ,
उनमे क्या मै और मिलायुं ,
नूतन क्या है जो मै लायुं ,
मेरी निजता तुममे है खोयी ,
तेरे सपनों से प्रभुता है जोई ;
नित नए पलों का उदगम हरदम ,
कितने उसमे सपने मै बोयुं ,
नूतन क्या है जो मै लायुं ,
तुझको तकते आखें है सोयी ;
नया है हर पल ,हर छन नया है ,
नयी है शामें सुबह नयी है ,
नया महिना साल नया है ,
क्या नया नया मै जोडूँ यार पुराने ,
क्या मै बदलूं प्यार पुराने ;
नूतन क्या है जो मै लायुं ,
क्या नूतन मै भाव सजायुं ;

happy new year
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर
नए साल का आगमन होने ही वाला है .इन्टरनेट पे हर जगह नए साल को मनाने की तैयारियों को ले कर चर्चा चल रही है .कुल मिलाकर शराब,लडकियां और नाच-गाने का ही जोर चारों तरफ है . ऐसे में एक सवाल मेरे मन में उठता है कि क्या भारत जैसे देश में इस तरह से नव वर्ष का स्वागत योग्य है ?
भारत जन्हा कि ७०% आबादी गाँवों की है , जन्हा देश का बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहा है .जहा एक बड़ी आबादी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही हो, वंहा नव वर्ष का स्वागत कैसे होना चाहिए ?
आप यह मत सोचिये की मैं आप को कोई सन्देश दे रहा हूँ और आप की शाम खराब कर रहा हूँ . मैं तो बस इतना चाहता हूँ की आप इस बात पे पूरी ईमानदारी के साथ सोंचे .
अंत में बस इतना ही की
नव वर्ष की शुभ कामनाए
२०१० आप के लिए मंगलमय हो .
Wednesday, 30 December 2009
नया साल जब आता है ,--------------------------------------

याद तुम्हारी लाता है .
तेरे मेरे सपनो का ,
खंडहर मुझे दिखाता है .
नया साल ---------------------------------------
ना जाने तेरी कितनी ,

वक्त की शाखों से टूटे,
पत्तो सा बिखराता है .
नया साल -------------------------------------------
अपने सपनो की टूटन को,

अपनी हर छुअन को,
यादो में सहलाता है .
नया साल -------------------------------
आ जाओगी शायद फिर तुम,
एहसास यही दे जाता है .
मीठे-मीठे सपनो को ,
मेरे पास सुलाता है .
नया साल ----------------------------------
तेरे बाद उदास पड़े,
बिस्तर को सहलाता है .
उदास इसकी सलवटों में ,
मेरी हंसी उड़ाता है .
नया साल जब --------------------------------
happy new year -2010
Indian Cricketers launch their Websites
- Biography
- A Fan Zone or Fan club
- A Picture Gallery
- A webcast where each of these players talk about something to share with their fans.
- Harbhajan Singh : Website
- Ishant Sharma : Website
Tuesday, 29 December 2009
The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy
The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy
We all know how tough is Indian roads specially when its peak time. Its not about just road conditions but when everybody is on road with their wheels on nothing helps excpet your experince. The Traffic People is an initiative by Shailesh Sinha of Delhi to help you travel through Indian roads little easier with tools they have launched and few more they will be doing in coming months.
Current Traffic Status
Plan your Route through city traffic.
Traffic Radio helping you to find which road will give you blues croissing through. There is a radio cast availble almost every 30 minutes to help you analyse the condition of the roads.
Traffic Forecast : This will be intresting depending on what kind of analysis is do
As of now only Delhi is on their radar and we hope to see how well they go ahead with this challeneging tasks. You can send an SMS to 54242 with text as TRAFFICPEOPLE and you would get the latest traffic update on your phone. Good luck to them. Find more details on Traffic People
पथिक है बैठा राह तके है /
पथिक है बैठा राह तके है ,
हमसाया मिल जाये ,
जो सपनों को सींचे है ,
रुके पगों को क्या हासिल हो ,
जो हमराही मिल जाये ,
चलते रहना नियति हो जिसकी ,
क्यूँ राहों पे रुके है ;
पथिक है बैठा राह तके है ,
बड़ते कदमों संग दुनिया भागे ,
चलता प्रियतम दुनिया मांगे ,
क्यूँ वो इसको भूले है ;
पथिक है बैठा राह तके है ,
मंजिल पहले थमना कैसा ,
धारा संग भी बहना कैसा ,
मंजिल एक पड़ाव है ,
कुछ पल का ठहराव है ,
नयी चुनौती नयी मंजिले ,
नयी सड़क का बुलावा है ,
जो संग चला वो हम साया ,
जो साथ रहा वो ही है यारा ,
पथिक है बैठा राह तके है /

Monday, 28 December 2009
merry christmas
|
Hope the New Year will bring peace, health and success
हिंदी का राष्ट्रिय सेमीनार
१५-१६ जनवरी २०१० को पुणे विश्विद्यालय से सम्बद्ध चांदमल ताराचंद बोरा महाविद्यालय , रांजनगाँव ,शिरूर में २ दिवसीय
राष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित की गई है . यदि आप इस संगोष्टी में सहभागी होना चाहते हैं तो संपर्क करे -
डॉ.इश्वर पवार
०२१-३८२८८४४४
०९६२३९६१४४३
०९४२२३१६६१७
संगोष्ठी में आप का स्वागत है
अभिलाषा १०५
अभिलाषा ने किया सवाल .
अपने पूरे होने की ,
उसकी थी चाहत प्रिये .
उसकी बाते सुनकर के,
जीवन बस इतना बोला -
जो पूरी ही हो जाए,
अभिलाषा वो कंहा प्रिये .
---------अभिलाषा १०५
Saturday, 26 December 2009
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /
आज समाज विभक्त है /
आडम्बर का चलन बड़ा है ,
गले लगाने का आचरण बड़ा है /
शंकाओं का धर्म बड़ा है ,
बातों में मिठास लिए ,
अविश्वास का करम बड़ा है /
मिलते हैं ऐसे जैसे अपना हो ,
भूले तुरंत जैसे सपना हो ,
खा लेंगे इक थाली में ,
जाती हमेशा याद आती है ,
नाम निकालेंगे देश का ,
पर झगडा होगा हमेशा प्रदेश का ,
सबसे छोटा देश यहाँ हैं ,
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /

Thursday, 24 December 2009
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
अजनबी बाहें न थीं ;
सिमट न सकी वो मेरे सिने में ,
मोहब्बत की उसमे चाहें न थीं /
बदन की प्यास न थी ,
उपेच्छा की आस न थी ,
मोहब्बत से कब इनकार था मुझको ,
उनसे दुरी काश न थीं /
अभी रोष बाकी है ,
अभी तो होश में हूँ मगर ,
प्यार का जोश बाकी है ;
चाहता हूँ बाँहों में भर सिने से लगा लूँ ,
अभी मेरे इश्क का आवेश बाकी है ,
ये यार मेरे अभी इश्क का उदघोष बाकी है ,
आखों में आंसू दिल में दर्द ,
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /

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***औरत का नंगा जिस्म ********************* शायद ही कोई इस दुनिया में हो , जिसे औरत का जिस्म आकर्षित न करता हो . अगर सारे आवरण हटा क...
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जी हाँ ! मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष , जिसके विषय में पद््मपुराण यह कहता है कि - जो मनुष्य सड़क के किनारे तथा...
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Factbook on Global Sexual Exploitation India Trafficking As of February 1998, there were 200 Bangladeshi children and women a...
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अनेकता मे एकता : भारत के विशेष सन्दर्भ मे हमारा भारत देश धर्म और दर्शन के देश के रूप मे जाना जाता है । यहाँ अनेको धर...
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अर्गला मासिक पत्रिका Aha Zindagi, Hindi Masik Patrika अहा जिंदगी , मासिक संपादकीय कार्यालय ( Editorial Add.): 210, झेलम हॉस्टल , जवा...
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Statement showing the Orientation Programme, Refresher Courses and Short Term Courses allotted by the UGC for the year 2011-2012 1...
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अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...