Sunday, 15 November 2009
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;

Saturday, 14 November 2009
मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ /
मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ ,
मेरी चाहत को मेरी खुदगर्जी ना समझ ,
मेरी अंदाजे बेफिक्री को बेवफाई ना समझ ;
मेरे आखों के आंसू को दुहाई न समझ /
कब चाहा की तेरे आखों में आंसू आए ;
मेरे इश्क को मेरी गुस्ताखी ना समझ ;
तेरी मुस्कराहट के लिए ख़ुद को मिटा दू मैं ;
मेरे जजबातों को बेकाफी ना समझ ;
मेरी नाराजगी को भले तू ना वाजिब माने ;
मेरे प्यार को व्यर्थ की नुमाइश ना समझ /
भले तेरे रिश्ते का मुझे तू साहिल ना बना ,
मैं इश्क ना निभा पायूँगा ऐसा काहिल ना समझ ;
मेरे जीने की वजह मेरे दिल की दुआ तू है ;
मेरी मोहब्बत को तू नाकाबिल ना समझ /

Friday, 13 November 2009
Turmeric : The Natural Healer
Derive from curcumin used for food colouring and also responsible for the yellow colour of turmeric researches have proved turmeric has the potential for the treatment of various diseases from cancer to Alzheimer’s. Once you know this magic spice you will realize why yellow curry is frequently available in kitchen.
As per the express India and the ACS’ Journal of Agricultural and Food Chemistry scientists are developing a nano size capsule that will boost the body’s uptake of curcumin and help fight several diseases. Please read on for more details .
As per SindhToday (Online Sindh Newspaper) dated 28th Oct 2009 turmeric can help in fighting cancer. As per Dr Lesley Walker, director of cancer information at Cancer Research UK the natural chemicals found in this wonder spice could be the path to the new treatments for esophageal cancer.
Healing properties of turmeric
Turmeric plays the most active part in the treatment of the main organs like skin, heart, liver and lung. It is antibacterial, anti-inflammatory, anti-tumour, stimulant. The advantages are numberless. In general turmeric helps in reducing fever, diarrhoea and urinary disorders. It purifies the uterus and breast milk and regularise the reproductive system in women.Uses of the golden spice of life -
Other names of Turmeric
- Indian Saffron, Tumeric, Yellow Ginger
- French: curcuma, saffron des Indes
- German: Gelbwurz
- Italian; curcuma
- Spanish: curcuma
- Arabic: kharkoum
- Burmese: fa nwin
- Chinese: wong geung fun
- Indian: haldee, haldi, huldee, huldie
- Indonesian: kunjit, kunyit
- Malay: kunjit
- Sinhalese: kaha
- Tamil: munjal
- Thai: kamin
जापान :तब और अब
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
मेरी बातों को तुम समझो तेरी राहों को मै जानू ;
मेरे भावों को तुम जानो तेरे सपनों को मै मानू ;
मेरे अरमाँ को तुम जिओं तेरी सोचों को मै मानू '
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
खो के इक-दूजे में अपने ख्वाबों को सच कर ले हम ;
दुनिया को ना भूलें मगर ख़ुद को ना तोडे हम ,
रिश्तों को तो जोडें मगर ख़ुद का ना छोडे हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
प्यार छिपा है जो हम दोनों के सीने में ;
क्यूँ उसे इक दूजे पे ना वारें हम ;
खुशियाँ गर मिलती हैं हमें बातों मुलाकातों में ,
क्यूँ न करें बातें क्यूँ ना करें मुलाकातें हम ;
कीमत तो देनी पड़ती है हर खुशी की जीवन में ,
जीवन का करेंगे क्या जिसमे न होंगे इक दूजे के संग हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
कुछ पल ख़ुद भी जी लें आ इक दूजे को बाँहों में भर लें हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

Thursday, 12 November 2009
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /
सामने बैठ तुम कॉलेज की बातें किया करती थी ,
मेरी धडकनों के अंदाज बदल जाया करते थे ;
अपनी सहेलियों की शरारतें बता जब इठलाते थे तुम ,
मेरे अहसास नही दुनिया बसाया करते थे ;
तेरी हँसी का एक शमा बना होता था ,
हम तेरे खुबसूरत चेहरे को निहारा करते थे ;
जब कभी आहत होती किसी के बात पे तू ,
तेरी उदासी को तेरे सिने से चुराया करते थे ;
जब तेरा दिल भर आता अपनो के कारण कभी ,
तेरे ग़मों को अपने ह्रदय में छुपाया करते थे ;
हर रोज सुबह नहा के तेरे निकालने का इंतजार हम करते ,
तुझे देख हर रोज नए सपने बनाया करते थे ;
भोर हुए आखं मलते जब तुम सामने मेरे आते ,
कैसे हम एक दूजे की सिने से लगाया करते थे ;
मन्दिर जब भी गए संग तेरे हम,
तेरी खुशियाँ मांग तेरे मांग में सिंदूर भरा करते थे ;
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /

Wednesday, 11 November 2009
भोर हुए तेरी याद चली आती है /
भोर आखँ खुलते तेरी याद चली आती है ,
बाँहों में भरकर सिने से लगाती है ,
दिल को प्यास जीवन को आस दिए जाती है ,
भोर हुए तेरी याद चली आती है /
पल भर को जो हुआ अकेला ,
तेरे भावों ने आ मुझको घेरा ,
धड़कन को अहसास वो देते ,
गम को विश्वास वो देते ,
रातों में बिस्तर पे जब लेटा ,
तेरी बातों का होता सबेरा ,
नयनो में सपने आते हैं ,
तन मन पुलकित हो जाते हैं ,
भोर हुयी फिर यादें आती हैं ,
वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं ,
कैसे तुझसे दूर मै जाऊं ,
कैसे मन मन्दिर फुसलाऊं,
भोर हुए तेरी यादें आती हैं ,
वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं /

Monday, 9 November 2009
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /
मेरे लम्हों की बेकरारी नही जाती ,
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती ;
जब्त अरमां दिल को बेकरार नही करते ,
भूल जायुं तुझको क्यूँ ऐसी बीमारी नही आती /
है शांत शमा कैसे मै जानू ,
दिल में उलझन चंचल धड़कन ;
मन से खामोशी नही जाती ,
आखें प्यासी हैं क्यूँ नीद नही आती ?
तू गैर की बाँहों में ऐतबार है मुझको ,
तेरी जिंदगी उससे है इकरार है मुझको ;
तू है नही मेरी ये कैसे मै मानू ,
मेरे रग रग से बहते खूं से तेरी खुसबू नही जाती ;
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /

Saturday, 7 November 2009
पर वो पल कितने प्यारे औ कितने अच्छे थे/
विस्तृत आकाश विदित है ;
मन का भावः विदित है ;
अहसास कहाँ कब सीमा जाने ,
दिल का विश्वास विदित है /
झिल-मिल तारों से ,आस करे क्या ?
सागर की लहरों से , प्यास करे क्या ?
रातों के ख्वाबों का मंतव्य समझ लेते ;
जागी आखों के सपने ,करे क्या ?
तू गैर नही है ;
तुझको मुझसे बैर नही है ;
मेरी तन्हाई से क्या रिश्ता तेरा ?
मेरी आगोस में होने का अब दौर नही है /
तेरे वादे क्या सच्चे थे ;
तेरे अहसास सभी कच्चे थे ;
बदन से मिलते बदन की यादें ;
क्या ले के बैठें अब उसको ;
पर वो पल कितने प्यारे औ कितने अच्छे थे/
नई दुनिया तुने बसाई है ;
मेरी यादों की अर्थी सजाई है ;
मेरे होने का अहसास ना हो ;
तुने अपने दिल की कब्र बनाई है /

Thursday, 29 October 2009
अमरकांत की कुछ तस्वीरे .
Wednesday, 28 October 2009
तेरे पास आ उसे कैसे पराया कर लूँ ?
तुझे जरूरत ना पड़ती थी कहने की ,
तेरे अहसासों पे अमल कर देता था मै;
तेरी आखों में बुने सपनों को ,
अपने भावों से सजों देता था मै ;
तेरी राहों के काटें चुनता ,
तेरी मधुभासों में खोया रहता था मै ;
तेरी खुशियों को तुझसे ज्यादा सजोता ,
तेरे आंसुओं को अपनी आखों से रो लेता था मै ;
इन यादों से कैसे किनारा कर लूँ ,
गर तुझसे मोहब्बत एक गलती थी ;
उसे तोड़ कर गलती कैसे दोबारा कर लूँ ?
तेरी खुशियाँ अब भी मुझे प्यारी हैं ,
तुझे मिल के उन्हें कैसे गवांरा कर लूँ ;
तेरा आभास अब भी मेरे धड़कनों में शामिल है ,
तेरे पास आ उसे कैसे पराया कर लूँ ?

Monday, 26 October 2009
इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
मोहब्बत में खुदा होने की ;
जी ना सके संग तेरे क्या हुआ ;
तमन्ना है तेरे इश्क में फ़ना होने की ;
मेरे अहसास अपने दिल में तू समेट ना सकी ;
मेरी दुरी को मोहब्बत में लपेट ना सकी ;
क्या कहूँ तेरे अरमां औ तेरी जरूरतों को ;
कैसे तू प्यार के जज्बे को सहेज ना सकी ?
तू गर्वित है अपने हालात पे ;
अपनी सफलता और बड़ती आगाज पे ;
क्या कहूँ मोहब्बत तेरी बिखरती जवानी पे ;
कैसे वो मेरी आखों में आंसुओं को रोक ना सकी ?

Saturday, 24 October 2009
छठ मैया को श्रद्धा अर्पण
अस्ताचलगामी और उदयमान सूर्य को प्रणाम करने के लिए सदियोंसे चली आ रही परम्परा को आगे बढ़ाने की तैयारियां चल रही हैं । बस चंद क़दमों की दूरी पर पुण्यसलिला गंगा के किनारे सूर्य जब अस्त हो रहे होंगे तो हम सब उन्हें अर्पण कर रहे होंगे अपनी श्रद्धा , अपना सबकुछ । दिन भर व्रत रखकर महिलाएं भगवान भास्कर को जल आराध्य करती है। राजधानिओमें इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। जैसे डेल्ही , पटना , यहाँ तक की महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भी हम यह पर्व देख सकते है।
Thursday, 22 October 2009
गुम हूँ कहीं ,खोया हूँ कहीं ;
गुम हूँ कहीं ,खोया हूँ कहीं ;
हूँ उसकी तलाश में ,
निकला हूँ कहीं ,पहुँचा हूँ कहीं ;
मदहोश नही हूँ , बेहोश नही हूँ ;
उलझा हूँ तेरी सोच में ;
अफ़सोस नही हूँ , सरफ़रोश नही हूँ ;
ढुढता हूँ ख्वाबों में , भटकता हूँ राहों में ;
नीद आये हुए वर्षों ;
सोया कहीं हूँ , जागा कहीं हूँ ;
तेरा अहसास नही हूँ , तेरा आकाश नही हूँ ;
हूँ हवा में शामिल ;
तेरा आभाष नही हूँ ,तेरी साँस नही हूँ ;
होयुं कोहरे में शामिल ऐसा खामोश नही हूँ /

Wednesday, 21 October 2009
नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /
मोहब्बत की दूरियों पे ,अपनी मजबूरियों पे ;
नाराज मत हो ,विश्वास कर ,इंकार मत हो /
तकलीफों की मुस्कराहट पे ,मुसीबतों की आहटों पे ;
नाराज मत हो ,विचार कर , तकरार मत हो /
आंसुओं की कोशिश पे ,भावों की कशिश पे ;
नाराज मत हो ,स्वीकार कर ,दुस्वार मत हो /
अपनो के तानो पे ,रिश्तों के बानो पे ;
नाराज मत हो , ख़याल कर उदास मत हो /
प्यार के धोखे पे ; मोहब्बत की उलझनों पे ;
नाराज मत हो , इश्क कर ,बदहवास मत हो /
नसीब की डोरियों पे ,तिरस्कार की बोलियों पे ;
नाराज मत हो ,सम्मान कर , अविश्वास मत हो /
बिखरे सपनों पे , छुटे अपनो पे ;
नाराज मत हो ,आगाज कर , इतिहास मत हो ;
सपने खिल जायेंगे , अपने मिल जायेंगे ;
प्यार भर भावों में ;सहजता ला मुलाकातों में ;
नम्र कर सोचों को ;सब्र भर बातों में ;
हारी बाजी जीतेगा तू ,अहसास ला मुलाकातों में ;
व्यवहार में स्वार्थ मत ला , मन में दुराव मत ला ;
नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /

Monday, 19 October 2009
लूट लूट लूट ,
लूट रहा है हर कोई जो सकता है लूट ;

Friday, 16 October 2009
दीपावली के लिए कुछ वाल पेपर्स ;---
ये वाल पेपर नीचे दिए लिंक से लिए गए हैं . इन पर मेरा कोई अधिकार नहीं है.
पग-पग दीप जलाए हम .
.यूं.जी.सी के नए माप दंड महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के सन्दर्भ में ;--------------
What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers
Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...
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***औरत का नंगा जिस्म ********************* शायद ही कोई इस दुनिया में हो , जिसे औरत का जिस्म आकर्षित न करता हो . अगर सारे आवरण हटा क...
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जी हाँ ! मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष , जिसके विषय में पद््मपुराण यह कहता है कि - जो मनुष्य सड़क के किनारे तथा...
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Factbook on Global Sexual Exploitation India Trafficking As of February 1998, there were 200 Bangladeshi children and women a...
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अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...
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अनेकता मे एकता : भारत के विशेष सन्दर्भ मे हमारा भारत देश धर्म और दर्शन के देश के रूप मे जाना जाता है । यहाँ अनेको धर...
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अर्गला मासिक पत्रिका Aha Zindagi, Hindi Masik Patrika अहा जिंदगी , मासिक संपादकीय कार्यालय ( Editorial Add.): 210, झेलम हॉस्टल , जवा...
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Statement showing the Orientation Programme, Refresher Courses and Short Term Courses allotted by the UGC for the year 2011-2012 1...
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अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...