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Tuesday, 26 October 2010

भ्रम है प्यार का या वेदना चाह की

भ्रम है  प्यार का या वेदना चाह की,
 नीरवता की सकल कमाई या स्वप्न मधुमास की ,
सहज क्षितिज की विकल रागिनी या प्रतिध्वनी स्मृति के विवश प्रवाह की ,
चाहत  की पीड़ा या ह्रदय की क्रीडा ,
मंत्रमुग्ध नयन झर झर करता या अपलक आखों  का स्वर कुछ कहता /



Tuesday, 21 September 2010

एक लम्हा और मिला होता /

बतियाते  घंटो बीत गए 
अब जाने की बेला आई थी 
अभी तो हाथ लिया था हाथों में
पर मोबाइल ने रिंग बजायी थी    
एक लम्हा और मिला होता
 तेरे लबों का अमृत पी लेता

हाथों में हाथ लिए
घूम रहे थे शाम से हम
अभी तो अरमान मचले थे मेरे
अभी सपने चमके थे मेरे
रात हो आई देर हो रही
एक लम्हा और दिया होता
बाँहों में तुझको भर लेता

सुबह सबेरे साथ चले थे
शाम हो आई आखों ने ख्वाब धरे थे
अभी अभी तो धड़कन थी उछली
अभी अभी आखों आखों से प्यास कही थी
देर हुई थी तुझे था जाना
कैसे कहता ये दिल था दीवाना
एक लम्हा और दिया होता
मै अरमानो को जी लेता
भर कर बाँहों में तुझको
तेर लबों का अमृत पी लेता

एक लम्हा और मिला होता /

Sunday, 29 August 2010

आशायें कितनी रखी थी ख़ामोशी के लफ्जों से

झिझक रहे कदमों से
अनकहे शब्दों  से
आशायें कितनी रखी थी
 ख़ामोशी के लफ्जों से


सपनों की राहें बनी  थी
अभिलाषाओं की आहें हसीं  थी
साकार वो ना कर पाई
दिल की चाहें सजीं थी


                                      
                                 
बहक उठे आखों के आंसूं
द्रवित हुआ ह्रदय बेकाबू
झलक दिखी जब हाँ की बातों में
ख्वाब सजे जागी रातों में 

वो लम्हा अनमोल था कितना

वैसे जीवन का मोल है कितना
वक़्त गया वो बातें बीतीं
राहें हैं तनहाई ने जीतीं






झिझक रहे कदमों से
 अनकहे शब्दों से

आशायें कितनी रखी थी
 ख़ामोशी के लफ्जों से








Thursday, 15 July 2010

मोहब्बत जवानी

हंसती कली
महकती फली
बरसती बुँदे
सुलगती यादें

गरजती लिप्सा
दहकती  आशा
बदलती सीमायें
बहकती निष्ठाएं

प्यार या पिपासा
रिश्ते औ निराशा
अधीर कामनाएं
लरजती वासनाएँ


उलझा  भाव
अधुरा लगाव
चंचल मन 
प्यासा तन 

सामाजिक सरोकार 
रोकता संस्कार 
 मंजिल व गंतव्य 
झूलता मंतव्य 

बड़ती चेष्टाए 
ढहती मान्यताएं 
लगन दीवानी 
मोहब्बत जवानी 


काम प्रबल 
भावों में बल 
टूटता  बंधन 
आल्हादित आलिंगन 

Sunday, 18 April 2010

रश्मे मोहब्बत में इश्क की खुदायी की ,

रश्मे मोहब्बत में तेरे इश्क की खुदायी की ,
जश्ने जजबात में तेरे प्यार की रहनुमायी की ;
बड़े रश्क से निकले आंसू मेरी निगाहों से ,
क्या खूब महफ़िल जमाई तुने बेवफाई की /
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हुश्ने बहार से क्या मैंने आशिकायी की ;
तुझे दिया जिगर तुने ही आतितायी की ;
तमन्नाओं ने भी खो दी अपनी हसरते ,
क्या हंसी मेहंदी लगायी तुने दिल पे जफावों की / 


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Wednesday, 14 April 2010

ना रुसवां हूँ तुझसे ना कोई लडाई है ;

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ना रुसवां हूँ तुझसे ना कोई लडाई है ;
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ना ही तेरी मोहब्बत से कोई बेवफाई है ;
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जिंदगी ने बस राहें बदल दी ;
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आज कल कोई और मेरे नशेमन पे छाई है /
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वो मेरी मोहब्बत का सबब पूंछता है /

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वो मेरी मोहब्बत का सबब पूंछता है ,
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मेरी तन्हाई की गजल पूंछता है ,
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हाथों में हाथ डाल गैरों के ,
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मेरी उदासी की वजह पूंछता है /
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Wednesday, 7 April 2010

तेरी अदावत का असर मेरे बिखराव से पूंछो ;

तेरी मेहरबानियों का असर मेरी नमित निगाह से पूंछो ,
तेरी अदावत का असर मेरे बिखराव से पूंछो ;
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कभी इक फूल रखा था हाथों पे मेरे ;
उसकी खुसबू का असर मेरे अजार से पूंछो /
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राह चलते कभी हाथों में हाथ दिया था तुमने ;
उसके अहसासों का असर अपने दिलदार से पूंछो ;
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भरी महफ़िल में तेरी नज़रों ने प्यार कहा था मुझसे ;
उन नजरो का कहर, प्यार का असर मेरे दिले बेक़रार से पूंछो /
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Tuesday, 30 March 2010

हुश्न

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हुश्न की शहादत ,मै भूलूं भी तो कैसे;
क़त्ल कर मेरा वो रोया भी नहीं है /
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Saturday, 27 March 2010

जो न पाया मैंने वही दे रहा हूँ /

जो न पाया मैंने वही दे रहा हूँ ;
मै तुझको मोहब्बत दे रहा हूँ /

जो मुझको न मिल सका वही दे रहा हूँ ,
अपनी जिंदगी का फलसफा दे रहा हूँ /

जो न तू दे सका वही दे रहा हूँ ;
मै तुझको दुआएं दे रहा हूँ /

Friday, 26 March 2010

उन नशीली आखों का दीदार दीजिये

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उन नशीली आखों का दीदार दीजिये ;
भले न गले लगो दौड़ कर ,इकरार तो कीजिये /
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Wednesday, 17 March 2010

रहता है मेरे दिल में

रहता है मेरे दिल में,
मगर उसे मिलूं कैसे ;
खिले कमल की पंखुड़ियों को छुयूं कैसे ,
तेरे सपनों को आगोस में भर लूँ ,
तेरा झिझगता विश्वास है,
मै उसको छुयूं कैसे ;
तेरी उलझन सुलझा मै दूँ
तेरी दुविधाओं को मान भी लूँ ,
तेरा इकरार जिऊ कैसे ?

Tuesday, 16 March 2010

आखें मींच के सो के उठना ,

आखें मींच के सो के उठना ,

उठते ही वो चेहरा ढूढ़ना ;

दिन में उसकी यादों से यारी ,

रातों को आखों में वारी ;

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सोचों में अब भी वो रहती ,

सपनों में अब भी वो दिखती ;

उसकी झलक को आखें तरसी ,

दिल में मेरे अब भी वो बसती ;

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राह न दिखती चाह की कोई ,

आभास नहीं है आस ना कोई ;

पागल मन उन्मुक्त सा खोजे ;

डोर न मिलती प्यार की कोई ;

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खोजूं मै निगाहें वही ,

जानू केवल बाहें वही ;

अँधियारा कितना भी फैले ,

चाहूँ मै आभासें वही /

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आखें मींच के सो के उठना ,
उठते ही वो चेहरा ढूढ़ना ;
दिन में उसकी यादों से यारी ,
रातों को आखों में वारी ;

Thursday, 11 March 2010

द्वैत कहूँ अद्वैत कहूँ ,

द्वैत कहूँ अद्वैत कहूँ ,
द्वैत कहूँ अद्वैत कहूँ ,
या प्यार तुझे अनिकेत कहूँ ,
दिल में बसता धड़कन में रमता ,
मन का साथी आखों से रिसता ;
पुजित तू है संचित तू है ,
कितनो को आवांछित तू है ,
काम बड़े तो लांछित तू है ;
द्वैत कहूँ अद्वैत कहूँ ,
या प्यार तुझे अनिकेत कहूँ ,
भावों का सरताज रहा तू ;
सपनों का अधिराज रहा तू ;
दिल के धोखो को क्यूँ हम जोड़े ;
दर्दों का स्वराज रहा तू /
द्वैत कहूँ अद्वैत कहूँ ,
या प्यार तुझे अनिकेत कहूँ ,
खुशियों की राहें तकलीफों के पग ,
महके मन मंदिर दहके तन ,
सुंदर बातें पथरीले छन ;
कब पाए तुम कब खोये हम ;
द्वैत कहूँ अद्वैत कहूँ ,
या प्यार तुझे अनिकेत कहूँ ,

Tuesday, 9 March 2010

खुबसूरत इरादों से शिकायत क्यूँ है ,

खुबसूरत इरादों से शिकायत क्यूँ है ,
हसीन प्यार के लम्हों से अदावत क्यूँ है ;
गले ना लगे तुम तो कोई बात नहीं ,
मेरी मोहब्बत से तुझको बगावत क्यूँ है ?


तेरी जफा की राहों से कब मैंने सवाल पूंछे ,
तेरे पीछे चलते सायों पे कब मैंने जवाब पूंछे ।
तू निभा न सकी कसमे कोई बात नहीं ,
पूरे हुए वादों से तू आहत क्यूँ है ,

मेरे सपनों से तुझे अदावत क्यूँ है ,
मेरी वफ़ा की राहों से शिकायत क्यूँ है ;
नहीं रक्खा मुझे अपनी यादों में कोई बात नहीं ;
मुझे हँसता देख तेरे चेहरे पे राहत क्यूँ है /

Monday, 8 March 2010

क़त्ल न कर मुझे जरा जी लेने दे ,

क़त्ल न कर मुझे जरा जी लेने दे ,
दिल के जख्मों को जरा सी लेने दे ;
तेरे चेहरे की घटाओं को छू लेने दे ,
तेरी आखों के कतरों को पी लेने दे ;
क़त्ल न कर मुझे जरा जी लेने दे ,
इतनी बेरुखी भी क्या मेरे दिलबर ,
तेरे लबों को जी भर के पी लेने दे ,
दुआ देगा मेरे दिल का हर टुकड़ा तेरी जफ़ाओं को ,
तेरी अदाओं पे मुझे मर लेने दे;
क़त्ल न कर मुझे जरा जी लेने दे ,
तेरी बेवफाई का लुत्फ़ जरा ले लूँ कुछ पल ,
तेरी बिखरी हंसी को जरा सी लेने दे ,
यादों को कुछ पल जी लेने दे ,
कातिल तेरी तकलीफों को पी लेने दे ,
आ तू अपने अरमान हसीन कर ले ,
मेरी चाहों को अतीत कर ले ,
जान निकालना जरा धीमे धीमे ,
तू अपने सपनों को रंगीन कर ले /

Sunday, 7 March 2010

यादों के फूलों में चेहरा तेरा , 2

यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
गुलाबी गालों की रंगत ,
आखों में सपना मेरा ;
निगाहों में रंगीनियों के डेरे ,
अभिलाषा रंगीन है मेरी ,
आशाओं के महीन से फेरे ,
फागुनी अंदाज में डूबे,
इरादे संगीन है मेरे ,
मोहब्बत और प्यास के सूबे ,
आ नए प्यार सा खेले,
समर्पण चाह के घेरे ,
इच्छाएं हसीन है मेरी,
वो पहली मुलाकात के डेरे ,
वो पहली रात की बातें,
उलझे बाल के फेरे ,
वो प्यास में डूबे ,
विश्वास के घेरे ;
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,

Sunday, 28 February 2010

आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,

छुं लूँ मन के भाव तेरे ,रंगू रक्तिम गाल तेरे ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
फागुन के मौसम में मन कब थमता है ,
जीवन तेरी अभिलाषा में रमता है ;
डालूँगा रंग कपड़ों पे तेरे ,
शायद दिल तेरा रंग जाय प्रिये ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,
चंचल मन है ,बहकी चितवन है ,
उसपे होली का त्यौहार प्रिये ,
मन को भावों से रंगुंगा ,तन को अहसासों से रंगुंगा ,
लाल ,हरा, पीला, नीला कितना प्यारा प्यार प्रिये ,
आशा भरी पिचकारी थामे ,घुमू तेरे द्वार प्रिये ,

Saturday, 13 February 2010

बात जिद की नहीं है यार मेरे ,

बात जिद की नहीं है यार मेरे ,
वो अहसास है दिल के खास मेरे ;
जो रग रग में बसता खूं में बहता ,
वो प्यार है तेरा दिलदार मेरे ,
प्यार तेरा खुशियाँ हैं मेरी ,
साथ तेरा दुनिया है मेरी ,
प्यार मेरा ही जिद है मेरी ,
कैसे त्यागूँ तू सांसे है मेरी ,
कैसे ना मांगू साथ तेरा ,
कैसे ना चाहूँ प्यार तेरा ,
मेरे आखों की दृष्टि तू है ,
मेरे जीवन की सृष्टी तू है ,;
बात जिद की नहीं है प्यार मेरे ,
तुझसे मेरी खुशियाँ हैं दिलदार मेरे /

Wednesday, 3 February 2010

तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,

गहराती सांसे नमित मन की आखें ,
तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,
थकी हैं नजरें सपनों से दुरी ,
चित भीगा तस्वीर अधूरी ,
व्यथा भाव मोहब्बत ले आई ,
दिल का क्रंदन और जुदाई ,
रूह है प्यासी पास उदासी ,
धड़कन को तू क्या दे आई ,
किस जीवन की राह दिखाई ,
शिकवा नहीं ह्रदय है कम्पित ,
क्यूँ हूँ तुझसे मै अचंभित ,
कांटा चुना राह के तेरी ,
आहें भरे रात संग मेरी ,
टीस भरी है भाव भाव में ,
दिल का बांध टूटता राह में ,
गहराती सांसे नमित मन की आखें ,
तुझसे दुरी क्या मजबूरी ,

दुष्यंत कुमार की दस प्रसिद्ध ग़ज़लें

दुष्यंत कुमार की 10 ग़ज़लें 1. मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ  वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ  एक जंगल है तेरी आँखों में  मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ  त...