Showing posts with label अभिलाषा ११. Show all posts
Showing posts with label अभिलाषा ११. Show all posts

Sunday, 16 August 2009

अभिलाषा -११


प्रेम भरे हर मन के अंदर,

मानवता के बीज पड़े ।

इर्ष्या,द्वेष,घ्रीणा,कुंठा से,

ऐसा मन अनजान प्रिये ।

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥

ChatGPT said: "तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥" —  ईशावास्योपनिषद् , मन्त्र 1 का अंतिम खण्ड मूल श्लोक: Copy code ईश...