कुछ तो कहो, कुछ तो लिखो ;
सजाई है जब एक महफ़िल , महफ़िल में कभी तो खिलो ;
क्यूँ चुप हो ,क्या बात है, क्यूँ मुद्दे नहीं मिलते ;
जीवन का हर पल एक बात है ,क्यूँ बात नहीं करते ;
चुप रहने से कुछ हासिल नहीं होता ,
बिना अपनी बात कहे, समाज के बदलाव में शामिल नहीं होता ;
गर चीजें बदलनी है बेहतरी के लिए ,
खुल के कहो बात अपनी ,देश की तरक्की के लिए
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Monday, 13 December 2010
कुछ तो कहो, कुछ तो लिखो ;
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Thursday, 30 September 2010
देश से बड़कर धर्म नहीं है
देश से बड़कर धर्म नहीं है
मानवता से बड़ा कोई कर्म नहीं है
प्यार मोहब्बत भाई चारा
जुड़ कर रहना सीखो यारा
धर्म के ऊपर युद्ध नहीं हो
धर्म स्थल पे द्वन्द नहीं हो
राम रहीम ईशा औ बुद्ध ने
मोसेस नानक औ महावीर ने
प्यार सिखाया नहीं सिखाई नफ़रत
सौहाद्र शांति की डाली थी आदत
चाहे जिस रूप में याद करे हम
इश्वर अल्लाह या god कहे हम
मिलकर रहना प्रेम बाँटना
यही इबादत यही है जीना
देश से बड़कर धर्म नहीं है
मानवता से बड़ा कोई कर्म नहीं है
प्यार मोहब्बत भाई चारा
जुड़ कर रहना सीखो यारा
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Monday, 27 September 2010
चलता है है बना हमारा काम चलता है
सब चलता है अभिप्राय है कलमाड़ी का
राष्ट्र मंडल खेल हुए सब चलता है ,
स्टेडियम में काम है बाकी चलता है
राहों में गड्ढा है चलता है
टपक रही है छत चलता है
कुत्ते सोये बिस्तर पे चलता है
डेंगू के मच्छर हैं फैलें चलता है
१०० का काम किया हजार में चलता है
खिला हुआ भ्रष्टाचार है चलता
शर्मसार देश का नाम है चलता है
चलता है व्यव्हार India का चलता है
चलता है है बना हमारा काम चलता है
राष्ट्र मंडल खेल हुए सब चलता है ,
स्टेडियम में काम है बाकी चलता है
राहों में गड्ढा है चलता है
टपक रही है छत चलता है
कुत्ते सोये बिस्तर पे चलता है
डेंगू के मच्छर हैं फैलें चलता है
१०० का काम किया हजार में चलता है
खिला हुआ भ्रष्टाचार है चलता
शर्मसार देश का नाम है चलता है
चलता है व्यव्हार India का चलता है
चलता है है बना हमारा काम चलता है
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Friday, 13 August 2010
पर अभी जिन्दा ये शहर है /
उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है
भोपाल क्या भुला है तू
कोशी को क्या सोचा है तू
वर्षों गुजरते रहते है
नेतागिरी बड़ती रहती है
कभी बहस कभी माफ़ी मिलती रहती है
उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है
कश्मीरी पंडितों का भविष्य
लातूर का भूकंप में जनहित
दिल्ली ले दंगों का सच
गुजरात के कत्लों का सच
नेताओं के काले पैसों का सच
देश के भूखे नंगों का सच
देख रहा तू वर्षों से
इंसाफ जारी है
प्रयास जारी है
देश के श्रेष्ठतम नेता अफसर जुटे है
दिन महीने या दशक हो गुजरे
प्रयास जारी है
पत्रकारों टी.वी न्यूज़ चैनल वालों की टी.आर.पी चालू है
देश की महानता नेताओं की दूरदर्शिता चालू है
फिर उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है /
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है
भोपाल क्या भुला है तू
कोशी को क्या सोचा है तू
वर्षों गुजरते रहते है
नेतागिरी बड़ती रहती है
कभी बहस कभी माफ़ी मिलती रहती है
उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है
कश्मीरी पंडितों का भविष्य
लातूर का भूकंप में जनहित
दिल्ली ले दंगों का सच
गुजरात के कत्लों का सच
नेताओं के काले पैसों का सच
देश के भूखे नंगों का सच
देख रहा तू वर्षों से
इंसाफ जारी है
प्रयास जारी है
देश के श्रेष्ठतम नेता अफसर जुटे है
दिन महीने या दशक हो गुजरे
प्रयास जारी है
पत्रकारों टी.वी न्यूज़ चैनल वालों की टी.आर.पी चालू है
देश की महानता नेताओं की दूरदर्शिता चालू है
फिर उदासी क्यूँ हैं बदहवासी क्यूँ है
खोया पूरा परिवार तुने सच है
पर अभी जिन्दा ये शहर है /
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