इसतरह तो कुछ, हासिल नहीं होगा
जब मेरे पास,मेरा क़ातिल नहीं होगा ।
डूब कर जाऊँ भी तो, कहाँ जाऊँ
जब जिक्र में, कोई साहिल नहीं होगा ।
जब मेरे पास,मेरा क़ातिल नहीं होगा ।
डूब कर जाऊँ भी तो, कहाँ जाऊँ
जब जिक्र में, कोई साहिल नहीं होगा ।
दुष्यंत कुमार की 10 ग़ज़लें 1. मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ त...