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Wednesday, 11 November 2009

भोर हुए तेरी याद चली आती है /

भोर आखँ खुलते तेरी याद चली आती है ,

बाँहों में भरकर सिने से लगाती है ,

दिल को प्यास जीवन को आस दिए जाती है ,

भोर हुए तेरी याद चली आती है /

पल भर को जो हुआ अकेला ,

तेरे भावों ने आ मुझको घेरा ,

धड़कन को अहसास वो देते ,

गम को विश्वास वो देते ,

रातों में बिस्तर पे जब लेटा ,

तेरी बातों का होता सबेरा ,

नयनो में सपने आते हैं ,

तन मन पुलकित हो जाते हैं ,

भोर हुयी फिर यादें आती हैं ,

वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं ,

कैसे तुझसे दूर मै जाऊं ,

कैसे मन मन्दिर फुसलाऊं,

भोर हुए तेरी यादें आती हैं ,

वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं /

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥

ChatGPT said: "तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥" —  ईशावास्योपनिषद् , मन्त्र 1 का अंतिम खण्ड मूल श्लोक: Copy code ईश...