किसी पत्रिका में पढ़ा हुआ मोहब्बत पर एक शेर आप सभी के लिए
सारे पेचीदा मसले आसान हो गए ,
मोहब्बत में हम भी इंसान हो गए.
सारे पेचीदा मसले आसान हो गए ,
मोहब्बत में हम भी इंसान हो गए.
दुष्यंत कुमार की 10 ग़ज़लें 1. मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ त...