तेरी यादों की चादर तान कर सोते हैं,
बेवफा तुझे मानकर रोते हैं.
मोहबत्त के अंजाम से वाकिफ थे हम,
मोल खतरे कुछ जानकर लेते हैं.
ये हिन्दुस्तान की रवायत है यारों,
हम दुश्मन को भी माफ़ कर देते हैं.
दुष्यंत कुमार की 10 ग़ज़लें 1. मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ त...