Monday, 12 January 2015

हुनर मुझको ही न आया , अहसान करने का ,


=========================================
अभिज्ञान तुम्हारा अज्ञान तुम्हारा , आत्मीयता या अभिमान तुम्हारा ;
क्या हम माने मेरा सच क्या है , आलिंगन या अपमान तुम्हारा /

============================================

हुनर  मुझको ही न आया , अहसान करने का ,
कैसे भरूंगा कर्ज , है प्यार कहने का /

=========================================

विनय कुमार पाण्डेय 

दुष्यंत कुमार की दस प्रसिद्ध ग़ज़लें

दुष्यंत कुमार की 10 ग़ज़लें 1. मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ  वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ  एक जंगल है तेरी आँखों में  मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ  त...