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Saturday, 20 March 2010

मुफलिसी के जख्मों से लहलुहान ,

मुफलिसी के जख्मों से लहलुहान ,

जिन्दा है मानों बिना प्राण ,

मुफलिसी के जख्मों से लहलुहान ;

बड़ा जीवट है ,खूं में उसके ,

स्वाभिमान है मन में उसके ;

मुफलिसी के जख्मों से लहलुहान ;

सांसों का भावों से रिश्ता ,

तिरस्कार से धन का नाता ;

वो मुफलिसी और उसका रास्ता ;

किस्से तो दुनिया बुनती है ,

उसको सिर्फ उलाहना ही मिलती है ;

रक्तिम आखें हाथों में छाले ,

ढलती काया पैरों को ढाले ;

संघर्ष से वो कब भागा है ;

स्वार्थ नहीं उसने साधा है ;

साधारण लोग किसे दिखते हैं ;

सब पैसे और ताकत को गुनते हैं ;

मुफलिसी के जख्मों से लहलुहान ,
जिन्दा है मानों बिना प्राण
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तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥

ChatGPT said: "तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥" —  ईशावास्योपनिषद् , मन्त्र 1 का अंतिम खण्ड मूल श्लोक: Copy code ईश...