Thursday, 17 December 2009
उस दिन /

Wednesday, 16 December 2009
सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए /
सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए /

Monday, 14 December 2009
भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;
न आस हो न प्यास हो न झुलाता विश्वास हो ;
न प्यास हो ,न विलास हो पर जीवन की साँस हो ;
वक्त ना धूमिल कर सके समय साथ जो चल सके ;
व्यक्त तो हुआ नही पर अव्यक्त जो न रह सके ;
दुरी जिसे न मोड़ सके तकलीफे जिसे न तोड़ सके ;
वो मेरा अहसास हो ,तुम वही मेरा प्यार हो /
भाग्य में है क्या ,क्या पता ;
राह में है क्या , क्या पता ;
भाव में है क्या , क्या पता ;
भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;
भविष्य में है क्या ,क्या पता ?
दिल से मोहब्बत जाती नही ,
प्यार को दूरी भाती नहीं ;
बाँहों में भींच लेना अपने सपनों में तू मुझे ;
मुझे आज कल नीद आती नही /
जीवन की उलझनों में उलझाना क्या ;
रिश्ते के भ्रमो में भटकना क्या ;
ह्रदय की गहराइयों में झाक के देखो ;
प्यार के रिश्ते में झगड़ना क्या ?

Monday, 16 November 2009
दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने /
2 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
4 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,

Friday, 13 November 2009
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
मेरी बातों को तुम समझो तेरी राहों को मै जानू ;
मेरे भावों को तुम जानो तेरे सपनों को मै मानू ;
मेरे अरमाँ को तुम जिओं तेरी सोचों को मै मानू '
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
खो के इक-दूजे में अपने ख्वाबों को सच कर ले हम ;
दुनिया को ना भूलें मगर ख़ुद को ना तोडे हम ,
रिश्तों को तो जोडें मगर ख़ुद का ना छोडे हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
प्यार छिपा है जो हम दोनों के सीने में ;
क्यूँ उसे इक दूजे पे ना वारें हम ;
खुशियाँ गर मिलती हैं हमें बातों मुलाकातों में ,
क्यूँ न करें बातें क्यूँ ना करें मुलाकातें हम ;
कीमत तो देनी पड़ती है हर खुशी की जीवन में ,
जीवन का करेंगे क्या जिसमे न होंगे इक दूजे के संग हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
कुछ पल ख़ुद भी जी लें आ इक दूजे को बाँहों में भर लें हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

दुष्यंत कुमार की दस प्रसिद्ध ग़ज़लें
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