Wednesday, 14 January 2009

खामोशी की जुबान -----------------------------------


खामोशी की जुबान कविता संग्रह के प्रकाशन कार्य से भी मै juda reha हूँ । ॐ प्रकाश पाण्डेय की यह किताब देश की वर्तमान अवस्था का बड़ा की मार्मिक चित्त्रण हमारे सामने प्रस्तुत करती है। अगर आप इसे पढेंगे तो इससे अवस्य प्रभावित होंगे ।


इस पुस्तक के लिये भी आप लिख सकते हैं .मै इसे भी आप के लिये उपलब्ध करा दूंगा ।

Labels:

1 Comments:

Blogger Shamikh Faraz said...

manish ji kripya is bat par dhyan den ki "मैं जुडा रहा हूँ होगा. न की मैं जुदा रहा हूँ." जुडा aur जुदा dono aik dusre ke opposit hain. kripya theek kar len. dhanyavad.

15 January 2009 at 15:23  

Post a Comment

Share Your Views on this..

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home