शर्म क्यों आती नही ?
सारा देश युद्ध की दहलीज पे खड़ा है ,ऐसे मे पहले से ही मोटी तनख्वा लेने वाले तेल कंपनियों के कर्मचरियों की हड़ताल देश द्रोह से कम नही है । आप को क्या लगता है ? मेरा बस चले तो इन सभी पे देश द्रोह का आरोप लगा सलाखों के पीछे डाल दूँ । लोकतान्त्रिक अधिकारों का इस तरह दुरुपयोग करने से इसकी बुनियाद हिल जायेगी । आप की क्या राय है ?
Labels: सामयिक लेख
1 Comments:
bilkul sahi likha hai aapne. kam shabdon me bahut badi baat kahi aapne. main aapse sahmat hun.
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