प्रेम डगर मे पल दो पल
प्रेम डगर मे पल दो पल ,साथ अगर तुम मेरा देते
गीत नया मफिल मे कोई,हम भी आज सुना देते
अनजानी सी राह मे कोई ,हम दोनों फ़िर जो टकराते
नजरे झुका के अपनी तुम ,फ़िर हौले से तुम जो मुस्काते
गीत नया ----------------
बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते
गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते
गीत नया ---------------------
जितना पागल हूँ मे तेरा ,उतना तुम यदि हो जाते
एक नही फ़िर सात जनम के, साथी हम हो जाते
गीत नया -------------------------
गीत नया मफिल मे कोई,हम भी आज सुना देते
अनजानी सी राह मे कोई ,हम दोनों फ़िर जो टकराते
नजरे झुका के अपनी तुम ,फ़िर हौले से तुम जो मुस्काते
गीत नया ----------------
बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते
गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते
गीत नया ---------------------
जितना पागल हूँ मे तेरा ,उतना तुम यदि हो जाते
एक नही फ़िर सात जनम के, साथी हम हो जाते
गीत नया -------------------------
Labels: हिन्दी कविता
1 Comments:
Dr. sahab baut hi sundar rachna hai. mujhe sabse achhi panktiyan ye lagi
बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते
गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते
bahut bahut badhai.
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