Tuesday, 6 January 2009

प्रेम डगर मे पल दो पल

प्रेम डगर मे पल दो पल ,साथ अगर तुम मेरा देते

गीत नया मफिल मे कोई,हम भी आज सुना देते

अनजानी सी राह मे कोई ,हम दोनों फ़िर जो टकराते

नजरे झुका के अपनी तुम ,फ़िर हौले से तुम जो मुस्काते

गीत नया ----------------

बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते

गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते

गीत नया ---------------------

जितना पागल हूँ मे तेरा ,उतना तुम यदि हो जाते

एक नही फ़िर सात जनम के, साथी हम हो जाते
गीत नया -------------------------








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1 Comments:

Blogger Shamikh Faraz said...

Dr. sahab baut hi sundar rachna hai. mujhe sabse achhi panktiyan ye lagi
बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते
गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते
bahut bahut badhai.

7 January 2009 at 09:48  

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