Sunday 5 September 2010

शमा उदात्त है

शमा उदात्त है
भावों में काम व्याप्त है
तनहाई बिन तेरे
तरसी हर बात है


शमा उदात्त है


भवरे चहके
पराग हैं बहके
नाचे  मोर
अभिलाषाएं दहके


पर्वत प्यासा
प्यासी नीर
हवा प्रेमातुर
उमंगें अधीर


गहरी सांसे
कामी सपने
चंचल मन
मचला बदन


तीव्र पिपाशा
तन भी प्यासा
रोक रहा मै
क्या क्या जिज्ञासा


शमा उदात्त है
भावों में काम व्याप्त है
तनहाई बिन तेरे
तरसी हर बात है



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