फितरत नहीं थी वैसा बना डाला ,
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न फितरत बदली न चाहत बदली ,
बदलते वक़्त ने करवट न बदली ;
.
न व्यवहार बदला न संस्कार बदला ,
बदला वक़्त ने सिर्फ अभाव बदला ;
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.
फितरत नहीं थी वैसा बना डाला ,
मोहब्बत ने न जाने कैसा बना डाला ;
.
सहज मासूम से ख्वाब थे मेरे ,
उन्हें आखों से बहता काजल बना डाला ;
चल रही थी जिंदगी जों सहज अंदाज से ,
तेरी इनायतों ने उसे हलाहल बना डाला ;
.
फितरत नहीं थी वैसा बना डाला ,
मोहब्बत ने न जाने कैसा बना डाला /
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न फितरत बदली न चाहत बदली ,
बदलते वक़्त ने करवट न बदली ;
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न व्यवहार बदला न संस्कार बदला ,
बदला वक़्त ने सिर्फ अभाव बदला ;
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फितरत नहीं थी वैसा बना डाला ,
मोहब्बत ने न जाने कैसा बना डाला ;
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सहज मासूम से ख्वाब थे मेरे ,
उन्हें आखों से बहता काजल बना डाला ;
चल रही थी जिंदगी जों सहज अंदाज से ,
तेरी इनायतों ने उसे हलाहल बना डाला ;
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फितरत नहीं थी वैसा बना डाला ,
मोहब्बत ने न जाने कैसा बना डाला /
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Labels: फितरत /, हिंदी कविता
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