ON LINE HINDI JOURNAL
ONLINE HINDI JOURNAL
Friday 25 June 2010
मेरी जिंदगानी ने सपने बहुत बुने थे लेकिन
मेरी जिंदगानी ने सपने बहुत बुने थे लेकिन ,
तेरी कहानी ने मेरे किस्से नहीं सुने ;
तुझसे तुझको मै चुरा लेता लेकिन ,
तेरी आखों ने मेरे सपने नहीं सुने ;
बाहों में भरना इतना भी मुश्किल न होता लेकिन ,
मैंने झूठे
जजबातों के वाकये नहीं बुने /
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
भारतीय ज्ञान परंपरा
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
यूं.जी. सी . का तुगलकी फरमान ,जागो इंडिया जागो
मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..