Saturday, 30 May 2009

ना कोई गम है , ना हालात मुझपे हावी हैं ;

ना कोई गम है , ना हालात मुझपे हावी हैं ;

ना मिला जो साथ , ना उसकी याद मुझपे भारी है ;

पतझड़ के मौसम में हरियाली के सपने क्यूँ देखें ?

कितनी भी नफ़रत जमाना चाहे फैलाये ;

दुरी कितनी भी वक्त साथ ले आए ;

अपनी मोहब्बत से शिकायत कैसी ;

मेरा प्यार हर हालात पे भारी है /

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1 Comments:

Blogger डिम्पल मल्होत्रा said...

अपनी मोहब्बत से शिकायत कैसी ;

मेरा प्यार हर हालात पे भारी है /...etna sunder or sahi kaha hai mere pass sach me shabad nahi ki kya kahu.....

2 June 2009 at 16:12  

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