Thursday 18 February 2010

नयनो से नयनो की बातें ,

नयनो से नयनो की बातें ,
काजल से गहराती रातें,
तिल आखों पे नूर बडाता ,
आखों आखों में तू इतराता ,
मुस्कान तेरी कितनी व्याकुल है ,
आन तेरी मन का कातिल है ,
चेहरे पे तेरी दुविधा रहती है ,
दिल में प्यास छिपी मरती है ,
चंचल चितवन से सपने झरते ,
उलझे दिल से ख्वाब ठहरते ;
आखों में तेरे प्यार की गंगा ,
फिर क्या सोचे और क्यूँ रुकना ,
क्यूँ खुद के अरमानो से लड़ना ,
प्यार के लम्हे कितने मिलतें है ,
हम उनमे भी क्यूँ रुकते है ,
मोहब्बत भी पूजा है यारों ,
ये भी भाव अजूबा है प्यारो /


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