इस दुनिया की हम क्यों माने?
गुनाह इश्क को क्यों जाने ?
दिल की बातो को आखिर ,
क्यों कर सब से हम छुपायें ?
अपनी मर्जी से अपना जीवन ,
बोलो क्यों ना जी पायें ?
लगी लगी है दिलमे जो ,
आखिर उसको क्यों न बुझाएँ ?
जिसको प्यार किया है मैंने ,
उससे क्यों ये हाल छुपायें ?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...
bahoot achcha dr sahab aap ke rachana achhi hai
ReplyDelete