Saturday 18 September 2010

उम्र बड़ी आशाएं घटी

उम्र बड़ी आशाएं घटी
कुछ पल मुस्काए कुछ आंसू लाये
कभी सजी जीवन  की सरगम
कभी सताए दुःख औ क्रंदन
एक जीवन में  जिए हम कितने जनम
घटती सांसे औ बड़ता बंधन

Friday 17 September 2010

सिमटते दायरों बिखरते संबंधों में भटकाव

सिमटते दायरों बिखरते संबंधों में भटकाव
सहमी अपेक्षा उच्श्रीन्खल इच्छा में उलझाव  
बदलते स्वरुप रिश्तों में समाहित अधिकार का
बड़ता प्रकोप कुछ रिश्तों के नए विकार  का
मान्यताएं टूटती स्व को पोषती नए विचार
मै का प्रहार हम का घटता प्रचार
नयी भागती दुनिया रीती नयी 
 पल के रिश्ते पल की प्रीती नयी


Tuesday 14 September 2010

कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है

कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है
मिलेंगे किस अभिवादन से कितनी ही आतुरता है
प्रीती दिखेगी प्यार दिखेगा या उलझा  संवाद दिखेगा
प्यार मिले तिरस्कार मिले पर ना व्यवहारिक व्यवहार मिले
कौतुहल है उत्सुकता है और बड़ी भावुकता है

मिलेंगे किस अभिवादन से कितनी ही आतुरता है