वक़्त मिले चाहत कहे तो आवाज दे देना
अपनापन,अतरंगता मोहब्बत साथ दे देना
अपना कहने का अधिकार दे देना
बाँहों में भर सीने में सिमट प्यार दे देना
लबों को लबों का साथ दे देना
मेरी जिंदगानी को कोई सार दे देना
वक़्त मिले चाहत कहे तो आवाज दे देना
अपनापन,अतरंगता मोहब्बत साथ दे देना
Saturday 7 August 2010
बड़ा शौक था तेरी चाहत का
बड़ा शौक था तेरी चाहत का
इक जूनून था तेरी मोहब्बत का
खुद को न्योछावर करता तेरे एक इशारे पे
पर तुझे यकीं नहीं था मेरी शहादत का
इक जूनून था तेरी मोहब्बत का
खुद को न्योछावर करता तेरे एक इशारे पे
पर तुझे यकीं नहीं था मेरी शहादत का
Friday 6 August 2010
Thursday 5 August 2010
Wednesday 4 August 2010
विषय-पीच.डी धारकों की नेट /सेट से छूट के सम्बन्ध में .
manish mishra | 4 August 2010 22:09 | |||
To: vc@fort.mu.ac.in | ||||
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Tuesday 3 August 2010
मोहब्बत न सही कोई तकरार तो दे दे
मोहब्बत न सही कोई तकरार तो दे दे
दे सके तो मेरे सपनों को कोई आकार तो दे दे
चाहत नहीं बची किसी चाह की कोई
मेरे बिखरे वजूद को कोई राह तो दे दे
सूखे ख्वाबों का पेड़ हूँ हरियाली के आँगन में
दे सके तो आहों की राख तो दे दे
जिंदगी बिताने को एक आस है बहुत
मेरी मोहब्बत को कोई विचार तो दे दे
गुजर रही तेरी जिंदगी बड़े सुखो आराम से
इस जन्म का न सही अगले जन्म का होंकार तो दे दे
मोहब्बत न सही कोई तकरार तो दे दे
मेरे बिखरे वजूद को कोई राह तो दे दे
दे सके तो मेरे सपनों को कोई आकार तो दे दे
चाहत नहीं बची किसी चाह की कोई
मेरे बिखरे वजूद को कोई राह तो दे दे
सूखे ख्वाबों का पेड़ हूँ हरियाली के आँगन में
दे सके तो आहों की राख तो दे दे
जिंदगी बिताने को एक आस है बहुत
मेरी मोहब्बत को कोई विचार तो दे दे
गुजर रही तेरी जिंदगी बड़े सुखो आराम से
इस जन्म का न सही अगले जन्म का होंकार तो दे दे
मोहब्बत न सही कोई तकरार तो दे दे
मेरे बिखरे वजूद को कोई राह तो दे दे
Sunday 1 August 2010
क्या आप कभी मेरी मोहब्बत के पात्र रहे हैं
क्या आप कभी मेरी मोहब्बत के पात्र रहे हैं
क्या आप कई वर्ष मेरे आस पास रहे हैं
क्या आपने मेरी आखों में समुन्दर तलाशा था
क्या आपने मेरी जुल्फों में निशा के मंजर को ढाला था
क्या आपने चूमा था मेरा ललाट अधिकार से कभी
क्या आपने सींचा था मुझे अपने प्यार से कभी
क्या आपके ओठों ने मेरे लबों की लाली बडाई थी
क्या मेरे उफनते सीने को अपने आलिगन में समायी थी
क्या मेरी रातें तेरी बाँहों में महकी थी
क्या तुम हो वही जिसकी आगोश में मेरी सुबहें बहकी थी
जाने दो गुजरे वक़्त को अब याद क्या करना
जाने दो तुम्हे पहचान के अब अहसान क्या करना
जों गुजर गया वो भुत है अब नया मेरा मीत है
भविष्य नया तलाश कर यादों का कभी ना साथ कर
सीख दे गयी वो बात तो पते की थी
कैसे बदलता दिल मेरा वो मेरे धड़कन में थी
क्या आप कई वर्ष मेरे आस पास रहे हैं
क्या आपने मेरी आखों में समुन्दर तलाशा था
क्या आपने मेरी जुल्फों में निशा के मंजर को ढाला था
क्या आपने चूमा था मेरा ललाट अधिकार से कभी
क्या आपने सींचा था मुझे अपने प्यार से कभी
क्या आपके ओठों ने मेरे लबों की लाली बडाई थी
क्या मेरे उफनते सीने को अपने आलिगन में समायी थी
क्या मेरी रातें तेरी बाँहों में महकी थी
क्या तुम हो वही जिसकी आगोश में मेरी सुबहें बहकी थी
जाने दो गुजरे वक़्त को अब याद क्या करना
जाने दो तुम्हे पहचान के अब अहसान क्या करना
जों गुजर गया वो भुत है अब नया मेरा मीत है
भविष्य नया तलाश कर यादों का कभी ना साथ कर
सीख दे गयी वो बात तो पते की थी
कैसे बदलता दिल मेरा वो मेरे धड़कन में थी
ठहरा हुआ जों वक़्त हो उससे निकल चलो
ठहरा हुआ जों वक़्त हो उससे निकल चलो
गम की उदासियों से हंस कर निपट चलो
गमनीन जिंदगानी को खो कर निखर चलो
कठिनाई के दौर से डटकर निपट चलो
बिखर रहा हो लम्हा यादों में किसी के
सजों कर कुछ पल दिल से निकल चलो
जिंदगी गुजर रही जों उसकी तलाश में
जी भर के तड़प के मुस्कराते निकल चलो
गम की उदासियों से हंस कर निपट चलो
गमनीन जिंदगानी को खो कर निखर चलो
कठिनाई के दौर से डटकर निपट चलो
बिखर रहा हो लम्हा यादों में किसी के
सजों कर कुछ पल दिल से निकल चलो
जिंदगी गुजर रही जों उसकी तलाश में
जी भर के तड़प के मुस्कराते निकल चलो
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