Saturday 31 July 2010

इम्तहान लेती रही जिंदगी मेरी

इम्तहान लेती रही जिंदगी मेरी
यूँ ही चलती रही जिदगी मेरी
कमियाँ तलाशते रहे लोग अपने
असफलताएं सजाती रही मेरी जिंदगी

व्यवहार बदलता रहा हर मोड़ पे लोंगों का
मेरी मुसीबतों पे मुस्कराती  रही मेरी जिंदगी
हर ठोकर के बाद लंगडाती रही मेरी जिंदगी
अपनो को यूँ  सुकूँ  पहुंचाती रही मेरी जिंदगी

कोई मरहम लगता नमक का कोई तिरस्कार की बातें
कोई अहसान की दवा देता कोई दया की बातें
कोई मुस्कराता हर तकलीफ पे कोई खिलखिलाता हर चोट पे
ऐसे  कितनो को सुख पहुंचाती रही मेरी जिंदगी  

Friday 30 July 2010

एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन


 
                                      बुधवार , दिनांक  १८ अगस्त  २०१० को महाविद्यालय के हिंदी विभाग और हिंदी अध्ययन मंडल,मुंबई विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में बी.ए. प्रथम वर्ष (वैकल्पिक ) पेपर-१ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है.
                         कार्यशाला के लिए पंजीकरण का समय सुबह ९.३० से १०.०० बजे तक रहेगा .१०.०० बजे से ११.०० बजे तक उदघाटन सत्र चलेगा .१११.०० बजे से १.३० बजे तक चर्चा सत्र चलेगा. १.३० बजे से २.३० तक भोजनावकाश रहेगा .२.३० बजे से ३.०० बजे तक समापन सत्र होगा .
                       महाविद्यालय का पता इस प्रकार है ------
 के.एम.अग्रवाल  कला,वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालय 
 पडघा रोड,गांधारी गाँव ,
कल्याण (पश्चिम )४२१३०१ 
          आप इस कार्यशाला में सादर आमंत्रित हैं. 
 http://maps.google.com/maps?f=d&source=s_d&saddr=Stationery+near+Kalyan,+Maharashtra,+India&daddr=19.262177,73.135728&geocode=%3BFeHqJQEdcPZbBA&hl=en&mra=ls&sll=19.261593,73.134763&sspn=0.001924,0.004823&ie=UTF8&ll=19.260894,73.134527&spn=0.007698,0.01929&z=16&lci=com.panoramio.अल  
     इस   मैप द्वारा  आप आसानी  से कॉलेज तक आ सकते हैं.

 

जिंदगानी भटकी हुई या खोया हुआ हूँ मै

 जिंदगानी भटकी  हुई या खोया हुआ हूँ मै 
राह चुनी थी सीधी चलता रहा हूँ मै 

रिश्तों में राजनीती थी या संबंधों में कूटनीति 
स्वार्थ था नातों में या नाता था स्वार्थ  का
बातें दुविधाओं की थी या दुविधाओं  की बातें  
भाव ले प्यार का सरल चलता रहा हूँ मै

उलझे हुए किस्से  सुने 
झूठे  फलसफे  सुने
मोहब्बत की खोटी कसमे सुनी
सच्चाई की असत्य रस्में सुनी
प्यार को सजोये दिल में
चलता रहा हूँ मै
इश्क के वादों को
 वफ़ा करता रहा हूँ मै

भटकी हुई जिंदगानी या खोया हुआ हूँ मै

राह चुनी थी सीधी चलता रहा हूँ मै










Thursday 29 July 2010

बेवफा सनम मेरा

बेवफा सनम मेरा
झूठ है फितरत
सच ना कह सका कभी
मेरी सच्चाई से है उसे नफरत

बेवफा सनम मेरा

अपने रिश्तों की बानगी
क्या कहे बदलती उसके दिल की रवानगी
झूठ का बड़ता उसका अंबार है
झूठे प्यार का उसका व्यापार है

बेवफा सनम मेरा

गलती नहीं उसकी कोई
बदलती कहाँ आदत कोई
गोपनीयता का वो सरताज है
बेवफाई पे ही उसका संसार है

बेवफा सनम मेरा

Sunday 25 July 2010

प्यास बुझा के प्यास बड़ाता पानी

जंगल का कोहरा और बरसता पानी
पेड़ के पत्तों से सरकता पानी

पहाड़ों पे रिमझिम बहकता पानी
सूरज  को बादलों  से ढकता पानी

चाँद तरसता तेरे बदन पे पड़ता पानी
प्यास बुझा के  प्यास बड़ाता पानी

उज़्बेकी कोक समसा / समोसा

 यह है कोक समसा/ समोसा। इसमें हरी सब्जी भरी होती है और इसे तंदूर में सेकते हैं। मसाला और मिर्च बिलकुल नहीं होता, इसलिए मैंने शेंगदाने और मिर...