Saturday 14 November 2009

मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ /

मेरी मोहब्बत को मेरी कमजोरी ना समझ ,

मेरी चाहत को मेरी खुदगर्जी ना समझ ,

मेरी अंदाजे बेफिक्री को बेवफाई ना समझ ;

मेरे आखों के आंसू को दुहाई न समझ /

कब चाहा की तेरे आखों में आंसू आए ;

मेरे इश्क को मेरी गुस्ताखी ना समझ ;

तेरी मुस्कराहट के लिए ख़ुद को मिटा दू मैं ;

मेरे जजबातों को बेकाफी ना समझ ;

मेरी नाराजगी को भले तू ना वाजिब माने ;

मेरे प्यार को व्यर्थ की नुमाइश ना समझ /

भले तेरे रिश्ते का मुझे तू साहिल ना बना ,

मैं इश्क ना निभा पायूँगा ऐसा काहिल ना समझ ;

मेरे जीने की वजह मेरे दिल की दुआ तू है ;

मेरी मोहब्बत को तू नाकाबिल ना समझ /

Friday 13 November 2009

Turmeric : The Natural Healer

Posted: 11 Nov 2009 05:03 AM PST
Ayurveda is the best home remedy for many diseases. Many herbs and plants are used to cure disease. Even centuries back it was Ayurveda the ultimate healer for all. And among all Turmeric is extensively used as in Ayurveda. Turmeric has always proved to be the best treatment of sprains and swellings since centuries.
TurmericTurmeric
Derive from curcumin used for food colouring and also responsible for the yellow colour of turmeric researches have proved turmeric has the potential for the treatment of various diseases from cancer to Alzheimer’s. Once you know this magic spice you will realize why yellow curry is frequently available in kitchen.
As per the express India and the ACS’ Journal of Agricultural and Food Chemistry scientists are developing a nano size capsule that will boost the body’s uptake of  curcumin and help fight several diseases. Please read on for more details .
As per SindhToday (Online Sindh Newspaper) dated 28th Oct 2009 turmeric can help in fighting cancer. As per Dr Lesley Walker, director of cancer information at Cancer Research UK the natural chemicals found in this wonder spice could be the path to the new treatments for esophageal cancer.

Healing properties of turmeric

Turmeric plays the most active part in the treatment of the main organs like skin, heart, liver and lung. It is antibacterial, anti-inflammatory, anti-tumour, stimulant. The advantages are numberless. In general turmeric helps in reducing fever, diarrhoea and urinary disorders. It purifies the uterus and breast milk and regularise the reproductive system in women.
Uses of the golden spice of life -

Other names of Turmeric

  • Indian Saffron, Tumeric, Yellow Ginger
  • French: curcuma, saffron des Indes
  • German: Gelbwurz
  • Italian; curcuma
  • Spanish: curcuma
  • Arabic: kharkoum
  • Burmese: fa nwin
  • Chinese: wong geung fun
  • Indian: haldee, haldi, huldee, huldie
  • Indonesian: kunjit, kunyit
  • Malay: kunjit
  • Sinhalese: kaha
  • Tamil: munjal
  • Thai: kamin

जापान :तब और अब

जापान :तब  और   अब 


 

चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
मेरी बातों को तुम समझो तेरी राहों को मै जानू ;
मेरे भावों को तुम जानो तेरे सपनों को मै मानू ;
मेरे अरमाँ को तुम जिओं तेरी सोचों को मै मानू '
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
खो के इक-दूजे में अपने ख्वाबों को सच कर ले हम ;
दुनिया को ना भूलें मगर ख़ुद को ना तोडे हम ,
रिश्तों को तो जोडें मगर ख़ुद का ना छोडे हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
प्यार छिपा है जो हम दोनों के सीने में ;
क्यूँ उसे इक दूजे पे ना वारें हम ;
खुशियाँ गर मिलती हैं हमें बातों मुलाकातों में ,
क्यूँ न करें बातें क्यूँ ना करें मुलाकातें हम ;
कीमत तो देनी पड़ती है हर खुशी की जीवन में ,
जीवन का करेंगे क्या जिसमे न होंगे इक दूजे के संग हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,
कुछ पल ख़ुद भी जी लें आ इक दूजे को बाँहों में भर लें हम ;
चलो इक बार फिर से अपनी दुनिया बसा ले हम ,

Thursday 12 November 2009

कभी पल मुस्कराया करते थे ,

कभी पल मुस्कराया करते थे ,

कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,

होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;

वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /

सामने बैठ तुम कॉलेज की बातें किया करती थी ,

मेरी धडकनों के अंदाज बदल जाया करते थे ;

अपनी सहेलियों की शरारतें बता जब इठलाते थे तुम ,

मेरे अहसास नही दुनिया बसाया करते थे ;

तेरी हँसी का एक शमा बना होता था ,

हम तेरे खुबसूरत चेहरे को निहारा करते थे ;

जब कभी आहत होती किसी के बात पे तू ,

तेरी उदासी को तेरे सिने से चुराया करते थे ;

जब तेरा दिल भर आता अपनो के कारण कभी ,

तेरे ग़मों को अपने ह्रदय में छुपाया करते थे ;

हर रोज सुबह नहा के तेरे निकालने का इंतजार हम करते ,

तुझे देख हर रोज नए सपने बनाया करते थे ;

भोर हुए आखं मलते जब तुम सामने मेरे आते ,

कैसे हम एक दूजे की सिने से लगाया करते थे ;

मन्दिर जब भी गए संग तेरे हम,

तेरी खुशियाँ मांग तेरे मांग में सिंदूर भरा करते थे ;

कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /

Wednesday 11 November 2009

भोर हुए तेरी याद चली आती है /

भोर आखँ खुलते तेरी याद चली आती है ,

बाँहों में भरकर सिने से लगाती है ,

दिल को प्यास जीवन को आस दिए जाती है ,

भोर हुए तेरी याद चली आती है /

पल भर को जो हुआ अकेला ,

तेरे भावों ने आ मुझको घेरा ,

धड़कन को अहसास वो देते ,

गम को विश्वास वो देते ,

रातों में बिस्तर पे जब लेटा ,

तेरी बातों का होता सबेरा ,

नयनो में सपने आते हैं ,

तन मन पुलकित हो जाते हैं ,

भोर हुयी फिर यादें आती हैं ,

वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं ,

कैसे तुझसे दूर मै जाऊं ,

कैसे मन मन्दिर फुसलाऊं,

भोर हुए तेरी यादें आती हैं ,

वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं /

Monday 9 November 2009

आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /

मेरे लम्हों की बेकरारी नही जाती ,

आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती ;

जब्त अरमां दिल को बेकरार नही करते ,

भूल जायुं तुझको क्यूँ ऐसी बीमारी नही आती /

है शांत शमा कैसे मै जानू ,

दिल में उलझन चंचल धड़कन ;

मन से खामोशी नही जाती ,

आखें प्यासी हैं क्यूँ नीद नही आती ?

तू गैर की बाँहों में ऐतबार है मुझको ,

तेरी जिंदगी उससे है इकरार है मुझको ;

तू है नही मेरी ये कैसे मै मानू ,

मेरे रग रग से बहते खूं से तेरी खुसबू नही जाती ;

आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /