Thursday 20 August 2009

कभी तो आखें खुशियों के आंसूं बहायेंगी

कभी तो मुश्किलें हल होंगी ;
कभी तो दुरी कम होंगी ;
इंतजार का सुरूर भी गजब का है ;
कभी तो जिंदगी हम होगी /
कभी तो लम्हे खिलाखिलायेंगे ;
कभी तो ओठ मुसकरायेंगे ;
कभी तो सपने लहलहाएंगे ;
कभी तो आशाएं चहचहायेंगी ;
कभी तो दूरियां सिमट जाएँगी ;
कभी तो भावनाएं बहक जाएँगी ;
कभी तो बाँहों में बाहें समायेंगी ;
कभी तो आखें खुशियों के आंसूं बहायेंगी/

परिदृश्य प्रकाशन -मुंबई /हिन्दी किताबो का खजाना

मुंबई मे नए आने वाले कई ऐसे लोग हैं जो अक्सर इस परेसानी से जूझते हैं की
मुंबई मे हिन्दी की साहित्यिक किताबे कंहा मिलेंगी ?
अगर आप भी यही जानना चाहते है तो आप के लिए कुछ पते दे रहा हूँ ।
१-परिदृश्य प्रकाशन -
दादों जी संतुक लेन ,
धोबी तालाब,नरीमन पॉइंट पे यह प्रकाशन स्थल है।
यंहा आप को हिन्दी की सभी किताबे मिल सकती है ।
यंहा का नम्बर-०२२२२०६८०४०
०२२६४५२६०७२ है ।
श्री रमन मिश्रा जी यंहा का कार-भार देखते हैं।
मेट्रो सिनेमा से दाहिनी तरफ़,पारसी आग्यारी के पास यह जगह है ।

ऐसी ही दूसरे बुक स्टाल के पते आप http://http://mumbai.justdial.com/book-shops_charni-road_Mumbai.html इस लिंक से प्राप्त कर सकते हैं।

Wednesday 19 August 2009

अभिलाषा 17

शव यात्रा मेरी जब निकले ,

तब राम नाम की सत्य ना कहना ।

प्रेम को कहना अन्तिम सच ,

प्रेमी कहना मुझे प्रिये ।

अभिलाषा

दिल पे अंधेरे का डर सा है /

दिल पेAlign Centre अंधेरे का डर सा है ;
ख्वाबों में भी उजाला कम सा है ;
उलझन नही है उससे दुरी की ;
मोहब्बत का नशा भी कम सा है /
ह्रदय की गहराईयों में एक चुभन सी है ;
मन की उचाईयों में हँसी नम सी है ;
भरोसा कैसे न करे अपनी मोहब्बत पे ;
उसके न होने पे ये मुस्कराहट भी गम सी है /

Sunday 16 August 2009

वक्त इंतजार नही करता ,

वक्त इंतजार नही करता ,
किसी से करार नही करता ;
वो मिलाएगा चंद कदम तेरे कदमों से ,
पर वो किसी के साथ नही चलता ;

गुजरते लम्हों संग रास्ता तय कर सके गर तुम ,
कुछ खोये लम्हों का वो हिसाब नही करता ;
समय के साथ चल सके अगर तुम ,
वो जिंदगी कभी बदहवास नही करता ;

वक्त इन्तजार नही करता ;
किसी से करार नही करता /

अभिलाषा-१४


बीच जवानी बचपन में,


हम दोनों फ़िर जो जा पाते ।




तो गुड्डे -गुडियों के जैसे,



रचा ब्याह हम लेते प्रिये ।

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फोटो लिंक ----------

अभिलाषा-१३

अनजानी सी राह में कोई,

हम दोनों यदि फ़िर मिल जाएँ,

नजरे झुका कर अपनी तुम,

कर लेना मुझे स्वीकार प्रिये ।

--------------------अभिलाषा

अभिलाषा १२


सब कहते हैं प्रेम करो,

पर प्रेम बड़ा ही मुश्किल है ।

प्रेम सदा देना ही देना ,

लेना इसमे कुछ ना प्रिये ।


---------------------------------------------अभिलाषा
फोटो लिंक-http://http://www.kaemmerling.com/blog/files/admin_ib03.jpg

अभिलाषा -११


प्रेम भरे हर मन के अंदर,

मानवता के बीज पड़े ।

इर्ष्या,द्वेष,घ्रीणा,कुंठा से,

ऐसा मन अनजान प्रिये ।