Saturday 3 October 2009

लाल बहादुर शास्त्री -मानव मिश्रा


October 2nd is Shastri Jayanti as well
Posted: 02 Oct 2009 12:59 AM PDT
If I ask you, what is the existence of October 2nd in Indian history; probably you will not even think and tell that it is Gandhi Jayanti (Birthday of Mahatama Gandhi).

However, very few people know that it is the birth anniversary of Late Lal Bahadur Shastri as well, 3rd Primne Minister of India, one of the great freedom fighters, the great Indian Hero, who gave the slogan ‘Jai Jawaan, Jai Kisaan’.

Shashtri Jayanti
Isn’t it ironical, most of us are not aware of this fact, moreover I have hardly witnessed any type of coverage about Lal Bahadur Shastri or his birth anniversary in any newspaper or on any TV channels.
Here we have collected some links, which can help you know more about Lal Bahadur Shastri.
http://en.wikipedia.org/wiki/Lal_Bahadur_Shastri
A nice poem about Shastri ji.
http://www.sscnet.ucla.edu/southasia/History/Independent/Shastri.html
http://www.diggstars.com/1-13-5693/Lal_Bahadur_Shastri.html
A nice article about Shastri ji
Why has history forgotten this giant?
So, go ahead read about Lal Bahadur Shastri, and do tell others about this forgotten National Hero.

Friday 2 October 2009

शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;

शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
नही रहता मन प्यासा किसी प्यार का ;
नही तड़पता तन तेरे अभाव पे ;
हर्षित नही है ह्रदय तेरे जिक्र पे ;
द्रवित नही है दिल तेरे कुफ्र पे ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
जिंदगी इक सहजता बन गई है अब तो ;
इक रस्मो रिवाज की कवायद रह गई है अब तो ;
उस्फुर्ती नही रही तुझसे मिलने की ;
प्यार रहा गया है इक सजावट अब तो ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
तेरे ना मिलने की बात से उदासी नही है ;
तेरी मोहब्बत और चाहतों से बानगी नही है ;
जिंदगी जा रही है इक रह पे जैसे भी ;
उन राहों में दिलचस्पी और दुराव नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
गम नही है , तकलीफ नही है ,वक्त से रंजिश भी नही है ;
मोहब्बत नही , इश्क नही और कोई कशिश भी नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;
पास नही है तू दूर नही है ;
आभास तो है अहसास नही है ;
सुलझी नही पर वो उलझी नही है ;
तू गैर तो बन न पाई पर मेरी भी नही है ;
विस्वास तो है पर आस नही है ;
तू बाँहों में है उनके पर उसमे खोयी भी नही है ;
शुन्यता है खालीपन है और है अभाव आनंद का ;

Thursday 1 October 2009

गाँधी जी के तीन बंदर

/पिछले २ अक्टूबर २००८ की शाम
गांधीजी के तीन बंदर राज घाट पे आए.
और एक-एक कर गांधी जी से बुदबुदाए,
पहले बंदर ने कहा-
''बापू अब तुम्हारे सत्य और अंहिंसा के हथियार,
किसी काम नही आ रहे हैं ।
इसलिए आज-कल हम भी एके४७ ले कर चल रहे हैं। ''

दूसरे बंदर ने कहा-
''बापू शान्ति के नाम ,
आज कल जो कबूतर छोडे जा रहे हैं,
शाम को वही कबूतर,नेता जी की प्लेट मे नजर आ रहे हैं । ''

तीसरे बंदर ने कहा-
''बापू यह सब देख कर भी,
हम कुछ कर नही पा रहे हैं ।
आख़िर पानी मे रह कर ,
मगरमच्छ से बैर थोड़े ही कर सकते हैं ? ''

तीनो ने फ़िर एक साथ कहा --
''अतः बापू अब हमे माफ़ कर दीजिये,
और सत्य और अंहिंसा की जगह ,कोई दूसरा संदेश दीजिये। ''

इस पर बापू क्रोध मे बोले-
'' अपना काम जारी रखो,
यह समय बदल जाएगा ।
अमन का प्रभात जल्द आयेगा । ''

गाँधी जी की बात मान,
वे बंदर अपना काम करते रहे।
सत्य और अंहिंसा का प्रचार करते रहे ।
लेकिन एक साल के भीतर ही ,
एक भयानक घटना घटी ।
इस २ अक्टूबर २००९ को ,
राजघाट पे उन्ही तीन बंदरो की,
सर कटी लाश मिली ।

Tuesday 29 September 2009

मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /

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तेरी खुशियों की सीढी दिल के टुकडों से सजाई थी ,
तेरी सफलता की दुआ अपनी असफलता से चुरायी थी ;
तुझे और क्या दूँ जो तेरा मन नही भरता ,
तेरी मुस्कानों की राह अपने आंसूं से बनाई थी /
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मेरी असफलता को और असफल कैसे करोगे तुम ,
मेरी तन्हाई को और तनहा कैसे करोगे तुम ;
तेरी खुशियाँ जुड़ीं हैं मेरी बरबादियों से ,
मेरी जुदाई को और जुदा कैसे करोगे तुम /
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Sunday 27 September 2009

सब्र कर कुछ दिन

मुस्कराहटें ,खुशी की आहटें और सुहासित ये शमा ;
खिला दिन ,महका बदन तेरी नजरों ने मोहित किया ;
भटक रहे अरमान ,तेरे इजहारे मोहब्बत ने हर्षित किया ;
तेरे अनछुए ओठों का पहला ये आभास ,
मेरा मन तेरी खुसबू में डूबा हुआ ;
शरमाते सकुचाते बाँहों में तेरा आना ;
मेरा तन उमंगों से पुलकित हुआ ;

सब्र कर अभी कुछ दिन, बड़ने दे प्यास ;
उफनने दे ये कशिश ,कर कुछ और प्रयास ;
कयास लगाने दे उन पलों के हर्ष का ;
महकती सांसों और बदन से बदन के स्पर्श का ;
मदहोशी Align Rightरा आने दे ,बड़ने दे जजबातों को ;
सब्र कर कुछ दिन ,अभी बड़ने दे मुलाकातों को ;
फिर होगा जो अवश्यमभावी है ;
मेरे दिल को तू बहुत भायी है ;
पुरानी यादों से किनारा तो जरा कर लूँ ;
अपने जख्मी दिल के भावों को जरा सिल लूँ ;
उनके बेवफाई के सितम को जरा पिने दे ;
फिर चोट खा सके इतना तो जख्मो को जरा भरने दे ;

कल तू भी अपनी राहों पे बड़ जाएगा ,पर तकलीफ जरा कम होगी ;
पहले की तरह हर बात पे ,आखें तो ना नम होगी ;
आशाएं नही पाली है तो तकलीफ भी न होगी ;
तेरी मंजिल से पहले का एक पड़ाव ही हूँ मैं ;
सब्र कर इक धोखा खाया इन्सान भी हूँ मैं ;

Thursday 24 September 2009

केशों से ढलकता पानी है ;


केशों से ढलकता पानी है ;


रिमझिम बरसते मौसम की अजब रवानी है ;


महकते फुल हैं ,मदहोशी का शमा है ;


भीगा बदन ,गहरी सांसें अरमां जवां है ;


झिझकती काया है ,उफनते जजबातों की माया है ;


कामनाएं फैला रही हैं अपने अधिकारों को ;


संस्कार की रीतियाँ रोक रही है भावनावों को ;


मन उलझा हुआ है , तन बहका हुआ है ;


डर रह रह के उभर आता है सीमाएं टूट न जायें ;


अरमां आगे बडाते हैं ये लम्हा छुट न जाए ;


स्वर्गिक अनुभूति है पर ज़माने की भी कुछ रीती है ;


प्रिती प्यासी है ख़ुद पे बस कहाँ बाकी है ;


झिझक ,तड़प ,प्यास ,विस्वास ,खुशियाँ और उदाशी हैं ;


आंनद बिखरा पूरे माहोल में है ;


वो सिमटा मेरे आगोस में है ;


मन झूमा तन आह्लादित है ;


बिजलियाँ कौंध रही मनो उल्लासित हैं ;


ह्रदय में द्विक संगीत सा बज रहा है कुछ ;


प्यार की जीत है , बंधन और दूरी झूट है ;


प्यार भी इक पूजा है ,इसके बिना जीवन अजूबा है ;


मिलन भी एक सच है , इश्क भी इक रब है ;


अरमान विजीत है , मन हर्षित है ;


धरती महक रही भीनी खुसबू से ;


पेडों की हरियाली अदभुत है ;


एक अनोखी अनुभूति है छाई ;


वो अब भी है मेरे बाँहों में समाई /


क्या उत्सव है ,क्या है ये लम्हा ;


सांसों का सांसों में मिलना ;


रुक जा वक्त अनमोल ये लम्हा ;


क्या सच है ये ; या है इक सपना /

Monday 21 September 2009

अधीरता का मंजर मुझमे है ;

अधीरता का मंजर मुझमे है ;

अव्यक्त की सहजता तुझमे है ;

नदी का वेग हूँ , मन का आवेश हूँ ;

प्यार का झोखा हूँ , सावन अनोखा हूँ ;

तू बहती हवा है ,बादल और निशा है ;

आखों का धोखा है ;स्वार्थ का सखा है ;

मै भावना से ओतप्रोत हूँ ,पानी का स्रोत हूँ ;

तू बिखरी हुयी माया है ;छल और छाया है ,

तुने सहजता का गुन पाया है /

मै स्थिरता हूँ ,जड़ता हूँ ;

रमा हूँ एक भावः में ;

इसीलिए अधीरता का मंजर पाया है /

हिन्दी लेखको -कवियों की तस्वीरे
















अगर आप हिन्दी के साहित्यकारों की तस्वीरे खोज रहे है तो आप कोhttp://http://hindilekhak.blogspot.com/ इस लिंक पे जाना चाहिए। आप की सारी जरूरते पूरी हो जाए गी । कुछ तस्वीरे नमूने के तोर पे उपरुक्त तस्वीरे इसी लिंक से ली गई है। इन पर मेरा कोई अधिकार नही है।

बड़े-बड़े अभिनेताओ के छोटी उम्र की तस्वीरे -----------------


अमिताभ








शम्मी कपूर





शारुख खान






































ई मेल के जरिये ये कुछ तस्वीरे प्राप्त हुई हैं। इन पर मेरा कोई कॉपी राईट नही है ।

भारत-पकिस्तान विभाजन की त्रासदी





























ईद मुबारक -----------------------