Saturday 1 August 2009

महाराष्ट्र मे शिक्षको की अनिश्चितकालीन हड़ताल(डिग्री कॉलेज )

महाराष्ट्र मे महाविद्यालयीन शिक्षको की अनिश्चितकालीन हड़ताल को २० दिन से अधिक होने जा रहा है,लेकिन सरकार के कान पे अभी तक जू नही रेंग रही है । खैर ठीक भी है ,आज की राजनीति मे शिक्षको की औकात ही क्या रह गयी है ? इनकी सेवा कोई अति आवश्यक सेवा तो है नही,फ़िर २० दिन क्या और २००० दिन क्या । ये शिक्षक जो काम करते हैं उससे देश का वर्तमान और भविष्य कन्हा प्रभावित होता है ?
ऐसा शायद महाराष्ट्र सरकार अभी तक सोच रही है ,इसी लिए २००६ मे लागू होने वाले वेतनमान को अभी तक लागू नही कर पायी । वह यह भूल गयी है की
जिस देश का शिक्षक भूखा होगा,
वहा ज्ञान का सागर सूखा होगा ।

Friday 31 July 2009

तुम मुझे कितना प्यार करते हो ?------------------

एक दिन अचानक उसने पूछ लिया मुझसे,
तुम मुझे कितना प्यार करते हो ?
सवाल नया नही था,
मगर मैं जानता हूँ की यह सवाल ,
सही मायनों मे सवाल भी नही है ।
दरसल यह एक जवाब है ,
जो सवाल की शक्ल मेंहै ।
यह सवाल अपना जवाब निश्चित कर चुका है ।
यह तो बस मौन की अभिव्यक्ति चाहता है ।
पूरी एकनिष्ठता के साथ,
पूरे समर्पण के साथ,
पूरे विश्वास के साथ ।
इस सवाल का उत्तर नही हो सकता ,
बस इसके बदले मे दिल को खोला जा सकता है,
प्यार को सलाम किया जा सकता है ,
उसे समझा जा सकता है,
और उसे पाया भी जा सकता है।
पाने के लिए खोना होगा,
अपने आप को खोना होगा ,
अपने से जादा किसी और का होना होगा ,
विश्वास पाना ही नही,
विश्वास करना भी होगा ,
किसी का हो कर ,किसी को अपनाना होगा ।
इश्क मे पाना कहा होता है,
बस मिटना होगा,समझना होगा,------------

इसी लिए इस सवाल का कोई जवाब नही है ,
यह सवाल ख़ुद लाजवाब है ,बहुत ख़ास है ----------------------
कितना ? यह तो नाप -जोख का मामला है,
यंहा तो हिसाब की बात है,
यंहा तो व्यापार की बात है ।
प्यार मे लेकी हिसाब कहा ?
यंहा तो सब कुछ बेहिसाब है ।
यंहा सवाल ख़ुद जवाब है,-----लाजवाब है ।
तुम ने यह पूछ के बता दिया की-
तुम्हे मुझसे प्यार है ,
बेहिसाब है ,
मेरी जान ,
मेरा भी वही हाल है ।
हमारा हर सवाल , हमारा प्यार है
पूछते रहना सवाल ,
इसी तरह प्यार वाले ,
प्यार की उम्र बढ़ती रहेगी ।
कभी संतुस्ट मत होना ,
हमेशा पूछते रहना -
तुम मुझे कितना प्यार करते हो ?

Thursday 30 July 2009

गम नही दूरी का , प्यार की मजबूरी का ;

गम नही दूरी का , प्यार की मजबूरी का ;
सूखते भावों का ,अनसुनी आहों का ;
इंतजार करती राहों का ;
व्याकुल मन का , तरसे तन का ;
तेरी कड़वी बातों का ,अनसोयी रातों का ;
तकलीफ है उनकी आवारा हँसी पे ,
औरों संग बंटती खुशी पे ;
प्यार की अपनी प्यास पे ;
अपनी न मरती आस पे ;
तेरे ठहरे कदमों पे , बदलती रस्मों पे ;
झिझकती तमन्नाओं पे ,बदलती कामनाओं पे ;
गम नही तेरी उपेच्छा पे ,
तकलीफ है अपनी कम होती सदिक्षा पे /

तेरे बारे में जब भी सोचता हूँ ---------------------------------------

तेरे बारे मे जब भी सोचता हूँ ,
हजारो सवालों को टालता हूँ ।
जानता हूँ बड़ी तकलीफ होगी ,
फ़िर भी इश्क का रोग पालता हूँ ।
मुझे तो हाँथ मे मोती ही चाहिए,
इसी लिए मैं गहरे में डूबता हूँ ।
मैं कभी कहता तो नही लेकिन ,
तेरे लिए मैं भी बहुत तड़पता हूँ ।
आज-कल डरा-डरा सा हूँ क्योंकि,
मैं भी किसी का ख्वाब पालता हूँ ।
जो कहना है लिख देता हूँ क्योंकि,
दिल अपना कंही कँहा खोलता हूँ ।
मेरा भी घर कांच का ही है ,
मैं पत्थरों से बहुत ही डरता हूँ ।

Wednesday 29 July 2009

वो मनचली ---------------------------------------

अगर ईमानदारी से बात करुँ तो पिछले लगभग एक साल में में उनसे ३-४ बार ही मिलना हुआ । फ़ोन पे अक्सर बातें होती रही , लेकिन पूरे तमीज और मर्यादा के बीच । कब और कैसे उनको जीवन साथी बनाने का निर्णय कर लिया , यह अब मुझे याद भी नही ।
निर्णय कर लेने से मेरा मतलब है कि दोनों परिवारों कि सहमती हो तो ही । बस मैंने अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी और भावी श्रीमती जी से भी मैने यही करने को कहा ।
हम दोनों ही मध्यमवर्गीय परिवारों से सम्बन्ध रखते हैं , इसलिए नौटंकी के लिए पर्याप्त मसाला तैयार था । किसी को यह बात हजम ही नही हो रही है कि सिर्फ़ ३-४ मुलाकातों के बाद ही शादी का निर्णय कोई कैसे कर सकता है ? अजीबो-गरीब सवालो के जवाब मुझे अपने अपनों और भावी सम्बन्धियों को देने पड़े । ऐसे लोगो कि बातें सुननी पडी जिन्हे मैं ख़ुद से बात करने के भी लायक नही समझता ।
लेकिन ऐसे परम अयोग्य लोगो के साथ पूरी सराफत से पेश आना पड़ा । ख़ुद अपमानित हो कर भी उनका सम्मान बनाए रखना पड़ा । आख़िर मामला दिल का था । अपने से जादा उनका ख्याल रखना था । फ़िर हिन्दोस्तान है , अजीब देश है यह । यंहा इतनी पाक-साफ़ और सात्विक प्रेम कहानी किसी को कैसे हजम हो सकती है ?
लेकिन यह सच है , मेरा सच । यह मैं आप लोगो को इस लिए बता रहा हूँ ताकी कल अगर आप का लड़का-लडकी ,भाई-बहन या कोई भी यह कहे कि उसे २-३ मुलाकातों के बाद ही कोई इस कदर पसंद आ गया है कि वह उसके साथ जिंदगी बिता सकता है , तो उस पे शक मत करना। उसकी भावनावो का सम्मान करना ।
अपनों पर विश्वाश बहुत जरूरी है ,अन्यथा आप उन्हें खो सकते हो । खैर मेरा maamlaa तो patree पे आता दिख रहा है ,आगे क्या होगा bhagwaan जाने------------------------------------------

Tuesday 28 July 2009

तुझसे प्यार है

तुझसे प्यार है ;

जानता हूँ आपको इनकार है ;

पर तुमसे प्यार है /

धड़कन बडाते हो , जब भी मुस्कराते हो ;

आखों की बातें ,मुस्कराती आखें ;

खिलता चेहरा , ओठ लजराते ;

पर आपको अपने ही भावों से तकरार है ;

तुझसे प्यार है /

नजदीक आते तेरे कदमों का बयां कुछ और है ;

तेरी बातों का शमा कुछ और है ;

आते हो करीब बड़ी हया से ;

बातें करते हो एक अदा से ;

मेरी किसी और से नजदीकी तुझे चुभती है ;

तेरे करीब आयुं नही मंजूर तेरी वफ़ा को ;

तू खुश है अपनी रीती से ;

पर तुझे इनकार है उसमे छिपी किसी प्रिती से

तुझसे प्यार है /

जानता हूँ आपको इनकार है ;
पर तुमसे प्यार है /

Sunday 26 July 2009

आ मुझे प्यार कर /

न आस कर ,न अविश्वास कर ;
जो ना हो सका न उसकी फरियाद कर ;
न इस वक्त को ,अपनी अभिव्यक्ति को ;
यूँही बरबाद कर ;
बच्चों का खूब दुलार कर ,
बड़ों के भावों का ध्यान कर ;
इश्वर का तू भान कर ;
वक्त अगर मिल जाए तुझे ,
तेरा मन इतराए अगर ,
अपने अरमानो का मान कर ;
अहसासों का इजहार कर ;
बाँहों में भर कर मुझे प्यार कर ;
आ कभी तो आखों में बसा ;
भावों में सजा ,ह्रदय में छिपा ;
इकरार कर ;
आ मुझे गले का हार कर /
जी भर के मुझे प्यार कर /
आ मुझे प्यार कर /

Saturday 25 July 2009

संत कबीरदास

संत काव्य परम्परा में कबीरदास का स्थान सबसे उच् है । उन्होंने संत सिरोमणि बनकर हिन्दी कविता को नई दिशा प्रदान की । धर्मं को अंधविश्वास और आडम्बर से मुक्त करने का प्रयास किया,और हिंदू मुस्लिम एकता का मार्ग दिखलाया।

अपने क्रन्तिकारी और खरे स्वभाव के कारण समाज मे लोकप्रिय थे। संत कबीर एक महात्मा, संतोषी, उदार, हिर्दय सुधारक, क्रन्तिकारी होने के साथ - साथ मस्तमौला स्वभाव से फक्कड़, आदत से अक्खड़ थे ।
बाहरसे वे कठोर और भीतर से कोमल थे। वे जाति और उच्च निच के भावः को नही मानते।
कबीर जी ने भक्ति आन्दोलन भी किया। जिसको sudharvadi काव्य के rupe में manyta मिली ।
कबीर जी के समय samaj का घोर पतन हो रहा था । कबीर जी padhe नही थे , फिर भी क्रन्तिकारी स्वभाव के कारण samaj में क्रांति की awaz uthai और लोगो में gyan की joyti jagai।
संत कबीर जी ने kitabi gyaan को phijol samja।
कबीरदास के उच् विचार और ज्ञान के कारण आज भी bhartiya धर्मं sadhana के history main आदर और प्रेम
के साथ yaad किए jate है ।
आज भी संत कबीरदास किसी parichaye ke mohtaz nahi hai .

अनेक यादें बिखरी हुई हैं

अनेक यादें बिखरी हुई हैं ;

कितनी ही बातें उलझी हुई हैं ;

खुबसूरत वाकयों का हिसाब क्या करें ;

सब तेरी बेतकल्लुफी में सिमटी हुई हैं /

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मोहब्बत और तनहाई से कैसे रूठें ;

अपनो की जुदाई से कैसे रूठें ;

ईश्वर की खुदाई पे कैसे रूठें ;

जीने को कुछ खुशियाँ ,

खुशियों को कुछ भावः लगते हैं ;Italic

मेरी जिंदगी मेरे प्यार ,

तेरी मोहब्बत और बेवफाई पे कैसे रूठें ?

Tuesday 21 July 2009

तेरी स्तुति में मन लीन रहे ,

गुरु को समर्पित

तेरी स्तुति में मन लीन रहे ,

तेरी महिमा में तल्लीन रहे ;

तेरी आभा का गुडगान करे ,

हर पल तेरा ध्यान करे ;

तू सर्वज्ञ , तू सर्वदा ,

तू संवाद तू संवेदना ;

तू ही कारन तू ही कर्ता ,

तू ही है सब कर्ता धर्ता ; तू ही सांसे ,

तू ही जीवन ,तू ही है जीवन का प्रकरण ;

तू ही शिव है तू ही शक्ति ,

तू ही है मेरी भक्ती ;

गान करूँ गुडगान करूँ ,हर पल तेरा ध्यान करूँ ;

Monday 20 July 2009

प्रकृति का नियम ;

प्रकृति का नियम ;
हर चीज का छरण ;
पत्तों का गिरना ;
फूलों का खिलना
नव अंकुरित बीज ;
सूखे पेड़ों की खीज ;
पिघलती बर्फ ;
आदमी का दर्प ;
उजड़ते खलिहान ;
लहलहाते रेगिस्तान ;
मौत पे बिलखना ;
बच्चों का किलकना ;
पत्थरों में भगवान ;
इंसानों में शैतान ;
क्या सच , क्या सपना ;
क्या भाग्य , क्या विडंबना /