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Saturday 1 September 2012

shimla



25 अगस्त 2012 को महाविद्यालय का काम खत्म कर लगभग 03 बजे घर आया । सामान पैक किया और दोपहर का भोजन लेकर करीब 04 बजे रेल्वे स्टेशन के लिए निकल पड़ा । शाम 05 बजे कानपुर के लिए लखनऊ सुपरफास्ट ट्रेन पकड़ी । 24 की पूरी रात जाग कर परीक्षा के प्रश्न पत्र बना रहा था , इसकारण नीद झट से आ गयी ।
26 को करीब 1.30 बजे दोपहर को कानपुर पहुंचा । बड़े भाई मानव रेल्वे स्टेशन पे खड़े थे । कानपुर में एक दिन रुककर 27 की सुबह लखनऊ के लिए निकल पड़ा । मैं , मानव भाई और चाचा जी एक साथ अपनी गाड़ी से निकले । लखनऊ में मानव भाई श्री राम टावर स्थित अपने आफिस गए, चाचा जी क़ैसर बाग आफिस गए और ड्राइवर ने मुझे उमानाथ बली प्रेक्षागृह छोड़ा , जहाँ ब्लागिंग पर अंतर्राष्ट्रीय संगोस्ठी थी । इसी संगोष्ठी में मेरे द्वारा संपादित पुस्तक हिन्दी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं का लोकार्पण हुआ । साथ ही साथ वर्ष 2010 – 2011 में हमारे के. एम . अग्रवाल महाविद्यालय द्वारा आयोजित ब्लागिंग सेमिनार को सर्व श्रेस्ठ ब्लागिंग सेमिनार का पुरस्कार मिला । यह सम्मान लेने के लिए हमारे महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनिता मन्ना जी उपस्थित थी । कार्यक्रम शाम 6 बजे खत्म हुआ । प्राचार्या मैडम को पुष्पक ट्रेन से कल्याण वापस जाना था , उन्हें स्टेशन छोडकर मैं मानव भाई के साथ छोटे चाचा जी के घर गया , वंहा से हम लोग गोमती नगर स्थित मानव भाई के फ्लैट पे गए ।  रात वंहा बिताने के बाद अगले दिन लखनऊ में कई लोगों से मिलते हुवे शाम को त्रिवेणी ट्रेन पकड़ के रात 10 बजे तक इलाहाबाद आ गया । बड़े भाई राजेश प्रयाग स्टेशन पे आ गए थे । हम लोग तेलियरगंज स्थित उनके कमरे पे आए । संजय चाचा ने पनीर की शानदार सब्जी, रोटी और चावल बनाया था । रात का खाना खाकर छत पे ही खुले में सो गया , गर्मी काफी थी ।
दूसरे दिन सुबह रसुलाबाद घाट पे महादेवी वर्मा जी का साहित्यकार संसद देखने गया । गंगा जी के दर्शन किया फिर प्रधान डाक कार्यालय भाई कृष्ण कुमार यादव जी से मिलने गया । आप डायरेक्टर पोस्टल सर्विस के रूप में कार्यरत हैं । यादव भाई साहब से मिल के हम लोग दोपहर का भोजन करने जयशंकर भोजनालय आए । खाने के बाद बड़ी माँ से मिलने उनके घर गया। वंहा बड़े भाई विपिन से भी मुलाक़ात हुई । काफी देर तक पारिवारिक बातें होती रहीं । वंहा से हम लोग इलाहाबाद मे ही  ए. डी. जे . के रूप मे पोस्टेड मामाजी के पास जाने के लिए निकले । वंहा रात 9.30 तक हम लोग रहे । रात का खाना खाने के बाद हम वापस तेलियरगंज आ गए ।
अगले दिन 30 अगस्त की सुबह महानंदा ट्रेन से मैं दिल्ली के लिए निकल पड़ा । रात 8.30 बजे मैं दिल्ली आया । फिर रात 9.20 को यंही से कालका मेल पकड़ी और 31 अगस्त की सुबह 04 बजे काल्का आ गया। फिर 5.30 बजे कालका से शिवालिक ट्वाय ट्रेन से शिमला के लिए निकला । सुबह 10 तक शिमला आ गया । शिमला तक की यात्रा अविस्मरणीय रही । शिमला स्टेशन पे इंडियन इंस्टीट्यूट आफ अड्वान्स स्टडी की गाड़ी आ गयी थी, उसी गाड़ी से गेस्ट हाऊस पहुंचा । यंहा की व्यवस्था और मौसम बहुत ही अच्छा है ।
कल से अपने अध्ययन के काम में लग जाऊंगा ।  



ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...