अरुणोदित किरणे सहमी सी मुस्कान लिए ,
मद्धिम हवा के झोंके इक अनोखी शान लिए ,
पत्तों पे ओस की बुँदे एक सुनहरा भान लिए ,
पक्षी के कलरव भौरों की गूंज महकी धरती संज्ञान लिए ,
एक सहज सी शांति थी फैली इश्वर है कण कण में ज्ञान लिए ,
चीत्कारा जंगल गाडिओं की आवाजें भोपूं के सीत्कार लिए ,
सन्नाटा फैला नीरवता छाई स्तब्ध शमा आक्रांत लिए ,
अरुणोदित किरणे सहमी सी मुस्कान लिए ,
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Saturday 30 October 2010
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