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Saturday 10 April 2010

राहों पे निकले हो खुशियाँ और उत्साह लाना ;

आखें खुली हुई थी ,हवाएं महकी हुई थी ;
निहार रहा था उनको ;सांसे रुकी हुई थी /
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राहों पे निकले हो खुशियाँ और उत्साह लाना ;
रास्ते में हसना गुनगुनाना और खुशबुए साथ लाना ;
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ख्वाब को हकीकत करना और मेरी मोहब्बत पास लाना .
लम्हे सजाना मन खिलाना और कुछ हंसी पल साथ लाना ;
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राहों पे निकले हो खुशियाँ और उत्साह लाना ;
अपना वजूद बढाना पर अपना अस्तित्व साथ लाना /
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ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...