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Saturday 6 November 2010

ये दिवाली की रातें उल्लाषित किये है

जगमगाते दिए उजाले का मौसम
झिलमिलाती ये रातें फुलझरियों  की सरगम
गुंजन फटाकों की हँसता हुआ बचपन
ये  दिवाली की रातें ये दिवाली का मौसम

रंगोली के रंग है दिल का उजाला
मिठाई की लज्जत खिलखिलाती हुई आशा
रिश्तों की डोरे मिलने की भाषा
ये दिवाली की रातें दिवाली की आशा

कोई कपडे ख़रीदे कोई गहने चुने है
कोई चांदी पे रुकता कोई सोना धरे है
कोई गाँव को है निकला कोई दुनिया घुमे है
ये दिवाली का मौसम ये दिवाली के दिन है


छुरछुरी की जलना अनारो का खिलना
खिलखिलाते  है बचपन बुड़ापे का हँसना
आनंदित है घर जलते दिए हैं
ये दिवाली की रातें उल्लाषित किये है

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...