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Saturday 24 April 2010

अमरकांत क़ी कहानी -मछुआ

 अमरकांत क़ी कहानी -मछुआ :-
      'मछुआ` कहानी अतिलेश नामक  पात्र के आस-पास घूमती है। वह एक सरकारी दफ्तर में काम करता था और अपनी पत्नी को हमेशा गाँव में रखता था। उसके जीवन का दर्शन यह था कि इस संसार रूपी भवसागर में स्त्री मछली के समान है और वह मछुआ है। उसके पड़ोस में नीरजा नामक युवती रहती थी। अनिलेश उसके रूप सौंदर्य पर मोहित हो चुका था।
      नीरजा अपनी विधवा माँ के साथ रहती थी। नीरजा की माँ अनिलेश पर स्नेह रखती, उसे पुत्रवत प्यार करती। अनिलेश कुछ ही दिनों में उनके घर के सदस्य जैसा हो गया था। इस तरह उसे नीरजा के नजदीक जाने का अच्छा मौका मिल गया था। धीरे-धीरे नीरजा भी उसे चाहने लगी और उससे प्रेम की लालसा रखने लगी।
      पर अनिलेश को इस बात से बड़ी आत्मग्लानि होती है कि वह उसी परिवार पर बुरी दृष्टि रखता है जो उस पर इतना भरोसा करते हैं। अत: एक दिन वह नीरजा के पास जाकर उसे यह कहता है कि वह जो सोचती है वह गलत है। उसे अपनी माँ के दुख दूर करने हैं। उस पर गंभीर जिम्मेदारियां  हैं। अनिलेश की बातें सुनकर नीरजा स्तम्भित होकर क्रोध से अनिलेश के चले जाने के लिए कहती है।
      यहीं पर यह कहानी खत्म हो जाती है। अमरकांत अनिलेश के चरित्र के माध्यम से यहाँ अधिक आदर्शवादी दिखायी देते हैं। 'मूस` और 'हत्यारे` जैसी कहानियों में यथार्थ का जो सशक्त भाव बोध दिखायी पडता है वह यहाँ नजर नहीं आता।  
 
   

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