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Tuesday 16 February 2010

अगस्त ऋषि का आश्रम :एक सुखद अनुभूति

अगस्त ऋषि का आश्रम :एक सुखद अनुभूति********************
        मैं जिस महाविद्यालय में काम करता हूँ,वँही के बाटनी विभाग के अध्यक्ष डॉ.विरेंद्र मिश्र जी मेरे प्रति एक सहज आत्मियता रखते हैं. एक दिन अचानक उन्होंने कहा कि-''चलो अगस्त ऋषि के  आश्रम घूम आते हैं. '' इस पर मेरा पहला सवाल था कि ''अगस्त ऋषि कौन थे ?''मेरी बात के जवाब में उन्होंने जवाब दिया कि-
        १-अगस्त ऋषि दुनियां के सबसे बड़े वैज्ञानिक थे .
       २-अगस्त ऋषि वो थे जिन्होंने पूरे समुद्र को एक घोट में पी लिया था.
       ३-अगस्त ऋषि से मिलने महादेव खुद उनके पास जाते थे .  
       ४-अगस्त ऋषि राम के सहायक भी रहे .
        ५-अगस्त ऋषि के आश्रम में शेर,हिरन,सांप और नेवले  एक साथ रहते थे,पर कोई किसी पर हमला नहीं करता था. 
        ६-उत्तर के विन्ध्य पर्वत का घमंड चूर कर,उसे बढ़ने से रोकने के लिए ही अगस्त ऋषि वापस उत्तर दिशा में नहीं गए.
        ७-महाराष्ट्र का इगतपुरी नामक स्थान  वास्तव में अगस्तपुरी है.अपभ्रंस के कारण अगस्तपुरी से अगतपुरी और अगतपुरी से इगतपुरी  हो गया है . 
                      डॉ.साहब क़ी बातें सुनने के बाद,मुझे भी लगा क़ी मुझे भी अगस्त ऋषि के आश्रम जाना चाहिए. पूरी तैयारी हो  गई. १४ फरवरी क़ी सुबह ५.३४  क़ी लोकल ट्रेन से  मैं,डॉ.वीरेंद्र मिश्र जी और महाविद्यालय के ही श्री कुलकर्णी सर हम लोग कसारा स्टेशन पहुंचे .करीब ७.०० बजे कसारा से हमने  अकोले के लिए बस पकड़ी. इस जगह का मानचित्र आप इस मैप लिंक  पे क्लिक कर के प्राप्त कर सकते हैं.http://maps.google.com/maps/ms?hl=en&ie=UTF8&oe=UTF8&msa=0&msid=108595931755292321391.00047fb79336248d0fe36&
 ll=19.534554,73.787613&spn=0.245259,0.617294&z=११
                                                     कसारा-घोटी-राजुर -अकोले इस तरह बस से लगभग ३.३० घंटे क़ी यात्रा कर के हम अकोले बस स्टॉप पे आ गए. पूरा रास्ता पहाड़ी है.आस-पास का वातावरण मोहक है.वंहा पहुँच कर हमने वहां क़ी मशहूर भेल खाई.और चाय -नाश्ते के बाद  पैदल ही आश्रम क़ी तरफ चल पड़े.हम प्रवरा नदी पे बने पूल को पार कर १० मिनट में आश्रम पर पहुँच गए. 
                आश्रम को अब मंदिर का रूप दे दिया गया है. पास ही शिव जी का मंदिर भी है.इमली के कई पेड़ आश्रम के पास हैं. आस-पास गन्ने,आलू,टमाटर,बाजरी और केले के खेत भी दिखे .आश्रम के आस-पास बस्ती भी आ गई  है. पास में ही एक गुफा का रास्ता है,जिसके  बारे में कहा जाता है क़ी राम और सीता इसी गुफा से अगस्त ऋषि के पास आये थे.उस गुफा के बगल में पानी के दो कुण्ड भी हैं,जिनमे  अब कृतिम रूप से पानी छोड़ा जाता है. 
           आश्रम के अंदर मुख्य स्थल पे अगस्त ऋषि क़ी जागृत समाधि है. जंहा अब उनकी मूर्ति भी स्थापित कर दी गई है. उसी के आस-पास  अगस्त ऋषि से सम्बन्धित कई बातों का उल्लेख चित्रों के माध्यम से किया गया है.आस-पास काफी शांति है. उस स्थल पे जाकर एक आंतरिक सुख क़ी अनुभूति हुई,जिसे शब्दों में ,कह पाना मुश्किल है.
          वंहा से वापस आने का मन तो नहीं कर रहा था,लेकिन कसारा के लिए अंतिम बस शाम ४.०० बजे क़ी थी.हम लोग वापस अकोले बस स्टॉप पे आ गए.चाय-नास्ता किया.फिर ४.०० बजे क़ी बस से वापस हो लिए.मन में कई सवाल थे,लेकिन चित्त शांत था.मानों हमने कोई  बहुत ही मूल्यवान वस्तु प्राप्त कर ली हो. 
आप को भी मौका मिले तो इस आश्रम में एक बार अवस्य जाएँ .अकोले में कई होटल और लाज  हैं,जंहा आप रुक भी सकते है.

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...