नया साल जब आता है ,याद तुम्हारी लाता है
तेरी यादो की खुसबू से,यह मेरा मन महकता है ।
वक्त के चूल्हे के अंदर, स्मृतियों की राख़ पड़ी
इसी के अंदर से वह, प्यार मेरा दहकता है ।
हम दोनों का मिल पाना, नामुमकिन है लेकिन
तुमसे मिल पाने की , यह मुझमे आस जगाता है ।
भूल गई हो तुम मुझको,इसका है आभास मगर
लेकिन--सायद--कुछ तो हो ,ऐसे यह भरमाता है ।
तेरा लौट के आ पाना ,व्यर्थ की है यह बात मगर
तेरी राहों पर अक्सर ,यह मेरे नैन बिछ्वाता है ।
चाहा तो सब को लेकिन, सबसे पहले तुम हो
तेरे बाद भी तेरी ही, यह सौगात मुझे दे जाता है ।
नया साल जब भी आता है ------------------------------------------------------
''आप सभी को नव वर्ष की शुभ कामनायें ।''
मनीष कुमार मिश्रा
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Monday 29 December 2008
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