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Tuesday 22 June 2010

भय से मुक्त होना भी कहाँ तक उपयुक्त है /

भय से मुक्त होना भी कहाँ तक उपयुक्त है ,

डरना सीखो अर्जुन ये कृष्ण का मुक्त है /

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बधन बने है कालचक्र से ,

बदलाव जुड़ा है वक़्त से ,

मन बंधा संसार से ,

संसार भी तो समय युक्त है /

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कौन स्वजन कौन परिजन कौन यहाँ पराया है ,

कैसे कहेंगे किसमे सबका हित समाया है /

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भय से मुक्त होना भी कहाँ तक उपयुक्त है ,

डरना सीखो अर्जुन ये कृष्ण का मुक्त है /

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...