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Tuesday 28 June 2011

वह क्या है हरा-हरा-सा

वह क्या है हरा-हरा-सा जिसके आगे
हैं उलझ गए जीने के सारे धागे

                            -----केदारनाथ सिंह 
  

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...