Showing posts with label यक़ीन पूरी तरह से नहीं है लेकिन. Show all posts
Showing posts with label यक़ीन पूरी तरह से नहीं है लेकिन. Show all posts

Saturday 3 May 2014

यक़ीन पूरी तरह से नहीं है लेकिन

यक़ीन पूरी तरह से नहीं है लेकिन
जितना तुम्हें जाना है 
उसमें इतनी गुंजाइस तो है कि
तुम्हें प्यार कर सकूँ 
विश्वास कर सकूँ 
समर्पित कर सकूँ ख़ुद को
पवित्रता और प्रेम के साथ
हमारी तृषिता के नाम । 
तुम जो ख़ुद प्रकृति हो
बरसती भी हो
तरसती भी हो
सँवरती भी हो
संवारती भी हो
मुझे सर्वस्व देकर
मेरी आस्था का केन्द्र बनती हो ।
तुम पर कविता लिखना
तुम्हारे आग्रह पर लिखना
ये कोई वादा नहीं
जो कि पूरा किया
बल्कि वो पूजा है
जिसमें आराध्य तुम
साधन और साध्य तुम
मैं तो बस
हांथ पर बंधे रक्षा सूत्र सा
विश्वास का प्रतीक मात्र रहूँगा
तब तक
जबतक कि तुम्हें विश्वास है ।

ताशकंद शहर

 चौड़ी सड़कों से सटे बगीचों का खूबसूरत शहर ताशकंद  जहां  मैपल के पेड़ों की कतार  किसी का भी  मन मोह लें। तेज़ रफ़्तार से भागती हुई गाडियां  ...